Rohit’s love story hindi
रोहित की प्रेम कहानी
नेहा का ये मानना था की इंसान को बहुत ही प्रभावशाली, होशियार, थोड़ा सा बुद्धू और प्यार करने वाला होना चाहिए. वो अपनी लाइफ मैं कुछ ऐसे ही इंसान के आने का इंतजार कर रही थी. बहुत से लोगों से मिलने के बाद मेरी आशाएँ और भी बढ़ गई थीं. यहाँ मुंबई में कितने खूबसूरत समुद्र तट हैं, चारों ओर सुंदरता मानो बिखरी हुई है. सूर्यास्त के दृश्य और गुजारा गया समय तो बहुत ही बेहतरीन है.
सूर्यास्त देखते हुए मुझे एक पल को अकेलापन महसूस नहीं हुआ. सुबह उसकी मुस्कान के साथ होती है तो दोपहर की गर्माहट को हम हाथों में हाथ डालकर घूमते हुए महसूस करते हैं. उस पल को याद करती हूँ जब हम बस में सफर कर रहे थे और मैं बीच में फँसी बैठी थी. मेरे पड़ोस में कौन बैठा है इसका पता मुझे तब चला जब मेरी सहेली ने धूप से बचने के लिए खिड़की बंद की.
वह मेरी ओर देखकर मुस्कराया, वैसे तो मैं अनजान लोगों की तरफ देखना भी पसंद नहीं करती लेकिन न जाने क्या बात थी उस निश्चल मुस्कान में कि मैं भी जवाब में मुस्करा दी. फिर उसने हैलो कहा मैंने जवाब दिया. इसके बाद बातचीत में घंटों ऐसे बीत गए जैसे हम बरसों से एक दूसरे को जानते हों. थोड़ी देर बाद बस रुकी और वह घूमने के लिए नीचे उतरा.
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मेरी सहेली, अरे मैं भी साथ में हूँ मुझसे तो बात ही नहीं की आपने और लगीं है उसे अजनबी से बतियाने में. सहेली की बात मुझे लग गई. जब वह वापिस आया तो जानबूझकर मैंने अपना मुँह एक किताब में गड़ा लिया. जब भी किताब से नजरें हटाकर देखती तो पाती कि वह मुझे ही देख रहा है. बस से हम लोग साथ ही उतरे. उसे उसी शहर की किसी और कॉलोनी में जाना था. फोन नंबर और घर के पतों का आदान प्रदान पहले ही हो चुका था. मुझे लग तो रहा था कि वह फोन जरूर करेगा.
उसने फोन किया, फिर से बहुत सी बातें हुई और यह सिलसिला चल निकला. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि यूँ ही सफर के दौरान इतने अच्छे व्यक्ति से मुलाकात हो जाएगी. अरे उसका नाम तो मैंने बताया ही नहीं. उसका नाम है रोहित. रोहित बेहद अच्छा इंसान है स्वार्थ तो उसके मन में रत्ती भर भी नहीं है. वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता है. अपने लिए उसके पास समय नहीं है लेकिन दूसरों के लिए समय निकाल ही लेता है. अभी जब हम मुंबई में हैं तब भी वह अपने कंप्यूटर पर लगा है और मुसीबत में पड़े दोस्तों की मदद कर रहा है. कभी कभी तो वह दूसरों के लिए रात भर भी जागता है लेकिन सुबह उठकर जब भी मेरे साथ बीच पर हाथों में हाथ लिए टहलता है तो मुझे लगता है कि सारे जहाँ की खुशियाँ सिमटकर मेरे हाथों में आ गई हैं.
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मुझे तो भरा पूरा परिवार मिला है पर उसने परिवार की खुशियाँ नहीं देखीं. उसके पिता बहुत अच्छे थे लेकिन उसने उन्हें बहुत जल्दी खो दिया. माँ भी उसे प्यार नहीं दे पाई क्योंकि वे मानसिक रोग से पीड़ित हैं. वह माँ की सेवा भी करता है. उसने जीवन में बहुत कठिनाइयाँ देखीं हैं और अब मैंने उसे अपनी बाँहों का सहारा दिया है. आज हमारी सगाई हो चुकी है और हम सोचते हैं कि उस दिन बस में मुलाकात नहीं होती तो क्या होता. आज हम मुंबई में हैं और एक दूसरे से बहुत खुश हैं. वह कुछ भी ज्यादा नहीं चाहता पर मैं उसे सब कुछ देना चाहती हूँ. इस तरह से नेहा ने अपने जीवन साथी की आखिर मैं तलाश कर ही ली.
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