khargosh aur kachhua ki kahani
khargosh aur kachhua ki kahani, खरगोश और कछुए एक दिन बात कर रहे थे, खरगोश ने कहा की उस दिन तो तुम मुझसे इसलिए जीत गए थे क्योकि में उस दिन सो गया था, अगर में सोया हुआ नहीं होता तो तुम मुझसे कभी जीत नहीं सकते थे, दोस्तों वह कहानी तो आपने सुनी होगी जिसमे “खरगोश” कछुए से हार जाता है,
khargosh aur kachhua ki kahani : खरगोश और कछुए की कहानी
वह कहानी “खरगोश” के घमंड पर थी क्योकि खरगोश यह सोचता था की “कछुए” जो बहुत धीरे चलता है वह मुझे कैसे हरा सकता है इस बात का घमंड “खरगोश” को अपने आप पर था, इसलिए आपको भी अपने किसी काम को लेकर घमंड नहीं करना चाहिए क्योकि घमंड कुछ समय रहता है फिर टूट जाता है,
यह बात कोई भी नहीं जनता है की घमंड तुम जिस काम पर कर रहे हो वो काम आपसे अच्छा कोई और भी जनता हो, इसलिए तुम्हे यह कहानी जिसमे “खरगोश” को घमंड होता है पता होनी चाहिए, अगर आपको यह कहानी नहीं पता है तो हम इसे आपको छोटे शब्दों में बता देते है, एक दिन “खरगोश” ने कछुए से कहा की में तुमसे बहुत अच्छा हु, में हर काम बहुत तेजी से कर सकता हु, तुम बहुत ही धीरे चलते हो, जितनी दूर तुम चलोगे उतनी दूर तो में दो बार वापिस आ जा सकता हु, कछुए ने खरगोश की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया था, लेकिन “खरगोश” अपने आप को बार-बार बता रहा था,
“खरगोश” ने कहा की तुम अगर मुझसे दौड़ लगते हो तो में जीत जाऊँगा,“कछुआ” को इस बात में कोई रूचि नहीं थी, क्योकि वह खरगोश की बातो से पता लगा सकता था, की आज खरगोश में बहुत घमंड आ रहा है, तभी तो वो मेरे साथ दौड़ लगाना चाहता है, क्योकि “खरगोश” यह जनता है की में बहुत ही धीरे चलता हु, कछुए इस बात को बहुत अच्छी तरह जनता है, but खरगोश मान ही नहीं रहा था, अब खरगोश और “कछुआ” में दौड़ शुरू हो गयी थी, जो भी सबसे पहले तलाब के दूसरी और के पेड़ को छुकर वापिस आएगा वही विजेता मन जाएगा, इसमें कुछ जानवर भी शामिल थे जो यह देख रहे थे की कौन सबसे पहले यहां पर आता है,
अब दौड़ शुरू हो गयी थी,“खरगोश” बहुत तेजी से वहा से गया और जब उसने देखा की कछुए तो बहुत दूर तक नहीं दिख रहा है तो उसने सोचा की जब तक वह यहां पर आएगा तब तक में आराम कर लेता हु, “खरगोश” वहा पर आराम करने लग गया था, “कछुआ” निरंतर बिना रुके चला जा रहा था, और वह पेड़ को छुकर वापिस आ रहा था,
khargosh aur kachhua ki kahani, जब “खरगोश” की नींद खुली तो देखा की कछुए अपनी मंजिल पर पहुंचने वाला है वह बहुत तेजी से पेड़ को छुकर वापिस आ रहा था but तब तक कछुए अपनी मंजिल पर पहुंच चुका था और “खरगोश” अपने घमंड के कारन हार गया था, अगर “खरगोश” को घमंड न होता तो वह जीत जाता, but वह अपने ऊपर घमंड कर रहा था इसलिए वह जीत नहीं पाया था,
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“खरगोश” दौड़ता हुआ “कछुआ” के पास जाता है और कहता है की तुम जानते हो की में बहुत तेज दौड़ता हु यह बात सुनकर कछुआ कहता है की मुझे पता है की तुम बहुत तेज दौड़ते हो इसलिए में इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता है, यह सुनकर “खरगोश” कहता है की ठीक है मगर में यह बात तुम्हे बताना चाहता था, “कछुआ” कहता है की मुझे पता है की तुम बहुत तेज हो कछुआ आगे जाता है
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तभी “खरगोश” कहता है, की आज तुम क्या कर रहे हो “कछुआ” कहता है की आज मुझे उस पहाड़ी पर जाना है, “खरगोश” कहता है की यह तो बहुत आसान है में बहुत तेजी से उस जगह पर चढ़ सकता हु, कछुआ कहता है की तुम बहुत तेज चलते हो इसलिए में जानता हु की तुम आसानी से ऊपर चढ़ सकते हो कछुआ कहता है की मुझे इस बारे में बात नहीं करनी है “कछुआ” पहाड़ी पर जाता है मगर यह आसान नहीं थी बहुत मुश्किल सफर था चारो और झाडी थी चलना भी मुश्किल था मगर कछुआ आसानी से चढ़ रहा था उसे झाड़ी से कोई परेशानी नहीं थी
khargosh aur kachhua ki kahani, उधर “खरगोश” हराने के लिए ऊपर चढ़ता है मगर वह नहीं पहुंच पाता है, कछुआ कुछ समय बड़ा ही चला जाता है और उसे बहुत अच्छा लगता है क्योकि वह आखिर ऊपर चढ़ जाता है वह देखता है की “खरगोश” भी ऊपर आ रहा है मगर उससे ऊपर आने में बहुत दिक्कत हो रही है मगर बहुत परेशानी के बाद वह भी आ जाता है जब खरगोश कछुआ को देखता है तो कहता है की तुम बहुत जल्दी ऊपर कैसे आ गए हो “कछुआ” कहता है की मुझे तो ऊपर देखना था उसके बाद मंजिल को प्राप्त करना था इसलिए में आसानी से आ गया था एक बार फिर से खरगोश हार गया था अगर आपको यह काहनी पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे
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