Grihshobha story in hindi, गृहशोभा की नयी हिंदी कहानी

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Grihshobha story in hindi

Grihshobha story in hindi, गृहशोभा की नयी हिंदी कहानी, गृहशोभा मुझे ऐसा लगता है की तुम आजकल बहुत काम कर रही हो, जबकि तुम्हे आराम भी करना चाहिए, मगर तुम मेरी बात तो सुनती नहीं हो, इसलिए मेने सोचा है, की इस बारे में तुम्हारे भाई से बात की जाए तो बहुत अच्छा होगा, जब यह बात Grihshobha ने सुनी तो वह कहने लगी की तुम मेरे भाई से यह बात नहीं कह सकते हो, because यह कोई अच्छी बात नहीं है, तुम उनसे कैसे बात कर सकते हो, यह मेरा काम है, मुझे ही तो करना है,

Grihshobha story in hindi : गृहशोभा की नयी हिंदी कहानी

Grihshobha story in hindi
Grihshobha story in hindi

घर का काम जबा मुझे ही करना है तो इसमें भाई से कहने की क्या बात है, तभी पति यही बात कहता है की तुम्हे कुछ भी नहीं पता है, तुम्हारे भाई आये है, यह सुनकर गृहशोभा बहुत खुश हो गई थी, because वह तो बहुत साल बाद यहाँ पर आये है मुझे यकीन नहीं होता है, वह अपने भाई को देखने के लिए बाहर देखती है,यह बात सच थी, Grihshobha के भाई आ गए थे, वह बाहर खड़े हुए बात को सुन रहे थे, वह कहते है की तुम्हारे काम  की करने आदत अभी तक गयी नहीं है मुझे आज भी याद है तुम बहुत काम करती थी,

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जब भी तुम काम करती थी तो तुम्हारा मन काम में ही लगता था, but मुझे पता है की काम के साथ में आराम भी करना बहुत जरुरी होता है but तुम शायद समझती नहीं हो, यह बात सुनकर पति भी कहते है की यही बात में कहना चाहता हु की तुम्हे काम के साथ आराम भी करना चाहिए but यह सुनती नहीं है, अभी कुछ दिन पहले की बता है तुम्हारी तबियत बहुत खराब हो गयी थी यह सब कुछ अधिक काम करने से हुआ था,

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गृहशोभा का भाई भी यही बात कहता है की थोड़ा आराम करने से अच्छा ही होता है हम काम के लिए मना नही करते है but आराम भी जरुरी है गृहशोभा दोनों की बात सुनती है और कहती है की अब तुम्हे नहीं लगता है की बात बहुत अधिक हो गयी है अब आराम करो में तुम्हारे लिए चाय लाती हु पति कहता है की यह ठीक रहेगा यह बहुत दिनों के बाद यहां पर आया हैमें बहुत सी बाते करनी है गृहशोभा चाय लेकर आती है, उसके बाद सभी बाते करते है शाम हो गयी थी, गृहशोभा ने अच्छा खाना बनाया था जोकि भाई को बहुत पसंद था,     

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जब शाम हो जाती है तो गृहशोभा का बेटा भी आता है वह खेलने गया था अभी उसकी उम्र दस साल की थी उसे देखकर लड़के का मामा कहता है की हमारा बेटा तो बहुत बड़ा हो गया है इसे देखे हुए बहुत साल बीत गए है जब देखा तो बहुत छोटा था but यह काम का बोझ कही भी जाने नहीं देता है अब बहुत मुश्किल से निकलना हुआ है but अधिक समय तक कही भी रुका नहीं जाता है यह जिंदगी तो भागने में ही कट रही है, और हमे लगता है की हम अच्छी जिंदगी जी रहे है,

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गृहशोभा कहती है की आप सही कह रहे है, समय बहुत तेजी से चलता है हमे इसे पकड़ नहीं पाते है but क्या करे यह तो सभी के साथ है इसलिए सोचना ही बेकार है, but एक बात है की हमे अपना जीवन बहुत अच्छे से बिताना चाहिए जिससे सभी लोग बहुत खुश रह सके क्योकि यह जिंदगी अधिक समय नहीं देती है उसके बाद गृहशोभा का भाई कहता है की तुम ठीक कहती हो, हमे तो यह भी पता नहीं चल पाया है की शादी के इतने दिन बीत गए है,

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गृहशोभा इस बात को समझती है जब से शादी हुई है तब से अपने जीवन में बहुत व्यस्त हो गयी है, समय निकलता जाता है और हमे पता भी नहीं चलता है इन सभी की बातो में रात भी बहुत हो गए है और गृहशोभा का बेटा उनकी बाते सुनते हुए वही पर सो गया है जब सुबह होती है तो गृहशोभा का भाई अब चलने के लिए कहता है क्योकि अब उनका रुकना ठीक नहीं है because काम बहुत है और समय कम, उसके बाद यह ख़ुशी का छोटा पल चला जाता है यह तो हमारे चेहरे पर हंसी लाता है इसलिए जीवन को अच्छे से जीना चाहिए अगर आपको यह गृहशोभा की नयी हिंदी कहानी पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे   

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