Friends story hindi
पुराने दोस्त की कहानी (Friends story hindi) आपको जरूर पसंद आएगी क्योकि इसमें अचानक ही पुराने दोस्त मिलते है और उनका सफर जारी होता है.
पुराने दोस्त की कहानी : Friends story hindi
एक दोस्त की कहानी, यह सफर काफी लम्बा होने वाला था क्योकि आज बहुत दिनों बाद किसी ऑफिस के काम से बहार जाना था अभी गाडी का इंतज़ार हो रहा था क्योकि ऐसा लग रहा था की आज गाडी पीछे से ही देरी से आ रही है लगभग आधा घंटा हो चुका था, तभी सामने से गाडी आती हुई नज़र आ रही थी चलो कुछ देर बाद इंतज़ार करने पर गाड़ी आ ही गयी थी, गाड़ी रुकी और अपनी सीट देखने के लिए हम आगे बढे थे,
जब सीट मिली तो बैठ क्योकि अब तो बस अपनी मंजिल का इंतज़ार ही करना था सामने की सीट अभी खाली थी शायद अभी वहा पर कोई नहीं आया था गाडी ने आवाज दी और गाडी चलने वाली ही थी की एक आदमी भागता हुआ आ रहा था वह साफ़ नहीं दिख रहा था क्योकि अभी रात का समय था वह उसी बोगी में चढ़ा था जिसमे हम बैठे थे वह सामने वाली सीट पर आकर बैठ गया था हमने भी सोचा की पता नहीं कौन है जो भागता हुआ आया था
यह सर्द राते भी बहुत मुश्किल देती है और ऊपर से रात का सफर भी आराम से नहीं कटता है वह आदमी अपने सामान को रख रहा था और उस पर जब नज़र गयी तो कुछ याद सा आ रहा था तभी याद आया की ययह तो मेरा बच्पन्न का दोस्त संदीप है अरे तुम यहां पर कैसे हमे तो पता ही नहीं था की तुम यहां पर रहते हो संदीप ने कहा की में यहां नहीं रहता हु बल्कि यहां पर अपने एक रिश्तेदार की शादी में आया था उसे देखकर बहुत खुशी हुई थी,
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आज बहुत साल बाद अपना दोस्त मिला था, उसके मिलने के बाद ऐसा लगा की फिर से बच्पन्न लोट आया हो, अब हम बड़े हो चुके थे उससे मिले हुए लगभग बारह साल बीत गए थे, अब जब वह मिला तो आज नींद कहा से आएगी, उससे मिलने के बाद बाते शरू हो गयी थी, संदीप से हमने पूछा की बहुत साल से न कोई पता तुम्हारा जबकि तुम मेरा पता जानते थे मगर फिर भी नहीं आये ऐसा क्यों,
संदीप ने बतया की जब उसके पिताजी यह जगह छोड़कर गए थे तब से मुश्किलें भी कम नहीं हुई थी उसके बाद मेने बहुत बार नौकरी की तलाश की मगर कुछ हासिल नहीं हुआ था बहुत बार कोशिश करने पर भी कुछ नहीं हो रहा था उधर बहन की शादी भी करनी थी एक और नयी चिंता भी हमे परेशान कर रही थी इस तरह की परेशानी से निकलना मुश्किल था आज की जिंदगी बहुत तेजी से भाग रही है, हम उसके साथ भी नहीं चल पा रहा है बीएस इस तरह की परेशानी से सब कुछ भूलते जा रहे थे,
संदीप ने बताय की कुछ दिन बाद बहन का रिश्ता हुआ और उसी तयारी में हम सभी लोग लग गए थे उसके बाद हमे लगा की एक काम तो हुआ मगर अभी तक मुझे कोई भी काम नहीं मिल रहा था हर रोज की तरह घर से काम की तलाश शाम तक भी पूरी नहीं होती थी फिर एक दिन एक बुक स्टोर पर काम मिल गया था सोचा जब तक कुछ और नहीं मिलता है तब तक यही कर लेता हु, कुछ दिन तक वह काम करके अपना ही एक अलग स्टोर खोल लिया था
उसके बाद शादी हो गयी और जैसा की सभी जानते है की शादी के बाद बहुत सी जिम्मेदारी बढ़ती जाती है उसी तरह की कई जिम्मेदारी बढ़ती जा रही थी फिर बच्चो की जिम्मेदारी और इस तरह बहुत साल ऐसे ही गुजर गए थे आज में एक शादी में आया था और आज तुमसे मुलाकात हो गयी थी और यह सब मेरी कहानी थी और अब सुनाओ तुम कैसे हो और सब क्या चल रहा है वह बच्पन्न की यादे अभी तक याद आती है भुलाना भी चाहो तो भी नहीं भुला सकते हो.
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संदीप की बातो से लग रहा था की उसकी परेशानी बहुत ज्यादा थी इसलिए वह उन्हें कम करने की पूरी कोशिश कर रहा था मगर इस कोशिश में वह अपने बहुत से साल बिता चुका था और इस तरह हम बाते करते हुए चले जा रहे थे उसके बाद हमने आपस में फोन नंबर लिए क्योकि इसके बिना तो कोई भी सम्पर्क में नहीं रह सकता है, जब गाडी स्टेशन पर पहुंची तो संदीप भी वही पर उतरा था जहा पर हमे जाना था
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संदीप ने कहा की जब भी काम हो जाए तो घर पर आ जाना क्योकि अब वह हमे अपने घर पर ले जाए बिना नहीं जाएगा इसलिए जब ऑफिस का काम पूरा हुआ तो वह हमारे ऑफिस पर ही आ गया था जिससे कही रस्ते में मुझे परेशानी न हो उसके बाद वह अपने घर ले गया था दोपहर के बाद हमे वापिस जाना था इसलिए दोपहर तक उनके पास रुकर हम अपने घर की और वापिस जाने लगे थे,
जब घर वापिस जा रहे थे तभी संदीप का मिलना भी याद आ रहा था अगर यह ट्रैन न होती तो हम शायद ही मिल पाते है हम गौर नहीं करते है मगर हमे सोचना चाहिए की हमारे पीछे छुट्टे रिश्ते कभी भी नहीं भूलने चाहिए क्योकि यह जिंदगी इतनी बड़ी नहीं है हमे जितना हो सके सभी को याद रखना चाहिए लेकिन हम लोग यह सब भूल जाते है और जब समय नहीं होता है तो सब कुछ याद आता है
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क्या आप भी ऐसा ही कर रहे है क्या आपसे भी कोई पीछे छूट गया है या आप उससे नाराज है तो ऐसा मत करिये हो सकता है की गलती किसी की भी हो मगर एक साथ रहे यह अच्छी बात है बहुत सी बार हमे पता नहीं होता है की क्या हुआ था मगर हम कभी भी आगे बढ़कर यह नहीं सोचते है की किसी न किसी को तो पहला करनी होगी तभी झगड़ा बंद हो पायेगा और हम सभी एक साथ में होंगे.
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