सदा ही सच बोले एक कहानी, baccho ki kahani

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Baccho ki kahani | Baccho ki kahaniya

सदा ही सच बोले बच्चों की कहानी, baccho ki kahani, ये कहानी आपको एक सीख देगी की कभी भी इंसान को झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योकि झूठ बोलने से सदा अपना ही नुकसान होता है, और दूसरो की नज़र मैं अपनी इमेज गिर जाती है. baccho ki kahaniya जिसे आप पूरी जिंदगी भी नहीं उठा सकते हो. एक गांव मैं राकेश नाम का एक बच्चा और उसका परिवार रहता था.

सदा ही सच बोले बच्चों की कहानी : baccho ki kahani

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Baccho ki kahani, उसके पिता बहुत बड़े ज्ञानी थे. वह बहुत दिन जीवित नहीं रहे. उनके मरने के बाद राकेश की माँ अपने भाई के पास आकर रहने लगी. राकेश एक दम अनपढ़ थे. ऐसे ही पूजा पाठ का ठोंग करके जीविका चलाते थे. राकेश झूठ बोलने से भी नहीं हिचकते थे. राकेश अकबर के राज में रहते थे. अकबर विद्वानों का आदर करते थे. वे विद्यार्थी को भी दक्षिणा देते थे. वे चाहते थे कि उनके राज में शिक्षा का प्रसार हो. एक दिन बहुत से विद्वान ज्ञानी और विद्यार्थी दक्षिणा लेने महल में पहुँचे. “baccho ki kahani”

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बड़े आदर से सूबेदार ने उन्हें बैठाया. उन्हीं में राकेश और उसके चाचा भी थे. लेकिन वे न तो एक अक्षर पढ़ सकते थे और न लिख सकते थे. राकेश बार बार धीरे धीरे चाचा से कहता, चाचा, मैं तो घर जा रहा हूँ . चाचा हर बार डाँट देते, चुप रह, जब से आया है टर टर किए जा रहा है. राकेश कहता, नहीं चाचा. मैं यहाँ नहीं बैठूँगा. मैं कहाँ पढ़ता हूँ. मैं झूठ नहीं बोलूँगा. राकेश जब नहीं माना तो चाचा ने किचकिचाकर कहा, चुप नहीं रहेगा. झूठ नहीं बोलूँगा. जैसे सच बोलने का ठेका तेने ही तो ले रखा है. जानता है मैं दिन भर झूठ बोलता हूँ. कितनी बार झूठ बोलकर दक्षिणा ली. तू भी तो बार बार झूठ बोलता है. जो ये सब यहाँ खड़ें हैं ये सब क्या पढ़े हुए हैं. डपटकर बोला, अरे खड़ा भी रह. तेरे सत्य के लिए मैं घर आती लक्ष्मी नहीं लौटाऊँगा, समझे. पूरा पांच रुपया मिलेगा.

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तभी अकबर के प्रतिनिधि आ पहुँचे. उनके बैठते ही सूबेदार ने विद्वानों की मंडली से कहा, कृपा करके आप एक एक करके आते जाएँ और दक्षिणा लेते जाएँ. हाँ हाँ, आप आइए, देवधर. देवधर आगे आए. सूबेदार ने उनका परिचय दिया, जी ये हैं देवधर शास्त्री गणित पढ़ाते हैं. अकबर के प्रतिनिध ने उन्हें प्रणाम किया. दक्षिणा देते हुए बोले, कृपा कर यह छोटी सी भेंट ग्रहण कीजिए और खूब पढ़ाइए. शास्त्री जी ने दक्षिणा लेकर अकबर का जय जयकार किया और उनकी कल्याण कामना करते हुए चले गए. फिर दूसरे आए, तीसरे आए, चौथे आए. पांचवे नम्बर पर राकेश के चाचा थे. वे जब आगे बढ़े तो सूबेदार ने उन्हें ध्यान से देखा, कहा मैं आपको नहीं पहचान रहा आप कहाँ पढ़ाते हैं. चाचा अपना रटा रटाया पाठ भूल चुके थे. मैं मैं करने लगे. प्रतिनिधि ने बेचैन होकर पूछा, आपका शुभ नाम क्या है, क्या आप पढ़ाते हैं . but चाचा क्या बतावें, इतना ही बोल पाए. उनको इस तरह बौखलाते हुए देखकर सब लोग हँस पड़े.

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अकबर के प्रतिनिधि ने कठोर होकर कहा, जान पड़ता है आप पढ़े लिखे नहीं हैं. खेद है कि आजकल कुछ लोग इतने गिर गए हैं कि झूठ बोलकर दक्षिणा लेते हैं. आप पंडित हैं. आपको झूठ बोलना शोभा नहीं देता. आपको राजकोष से दक्षिणा नहीं मिल सकती पर जो माँगने आया है, उसे निराश लौटाना भी अच्छा नहीं लगता. इसलिए मैं आपको अपने पास से भीख देता हूँ. उस दिन के बाद से राकेश ने कभी भी झूठ का सहारा नहीं लिया और सच का ही साथ देना उचित समझा. तो दोस्तों इसलिए हमे कभी भी झूठ बोलकर किसी का विश्वास या फिर किसी से किसी भी प्रकार की मांग का आग्रह नहीं करना चाहिए. आप जैसे है सबको वैसा ही रूप आपको दिखाना चाहिए. ताकि किसी को भी आपके बारे मैं कोई भी गलत फहमी ना उत्पन्न हो. ऐसा करने से सदा आपकी ही हानि होगी.

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अगर हमारा अच्छा व्यवहार नहीं है हमे उसे बदल लेना चाहिए मगर आप जैसे नज़र आते हो आपको वैसा ही बने रहना चाहिए, सदा ही सच बोले बच्चों की कहानी : (baccho ki kahani), (baccho ki kahaniya), (bachon ki kahani in hindi), आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आगे भी शेयर कर सकते है और कमेंट करके हमे भी बता सकते है

अकबर और छोटे लड़के की कहानी : baccho ki kahaniya

Baccho ki kahaniya, एक बार अकबर ने देखा कि एक लड़का अपने खेत में काम कर रहा है और उसकी उम्र बहुत कम है अकबर यह देखकर बहुत ही हैरान हुए कि एक छोटा लड़का अपने खेत में काम कर रहा है अकबर उस लड़के के पास जाते हैं और कहते हैं कि तुम बहुत छोटे हो फिर भी तुम काम कर रहे हो, baccho ki kahaniya

 

छोटा लड़का कहता है कि मेरे पिताजी की तबीयत बहुत खराब है इसलिए मैं खेत में काम कर रहा हूं अगर मैं काम नहीं करूंगा तो उन्हें आराम कैसे मिलेगा वह आराम कर रहे हैं क्योंकि उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब है अकबर सोच रहे थे कि इतना छोटा लड़का खेत में काम कर रहा है उसके पिताजी की तबीयत बहुत खराब है इसलिए मुझे चलकर उन्हें देखना चाहिए अकबर उस लड़के के पिताजी को देखने जाते हैं क्योंकि उसकी तबीयत बहुत खराब है,

 

तभी उसके पिताजी देखते हैं कि अकबर हमारे घर पर आए हैं अपने लड़के को बुलाते हैं और कहते हैं कि उनके लिए कुछ खाने को लेकर आए क्योंकि यह अकबर हैं यह बात सुनकर छोटा लड़का सोचने लगा कि अकबर हमारे घर पर आए हैं तो इसलिए जरूर मुझे उनके लिए बहुत कुछ करना होगा वह उनके लिए खाने के लिए लाता है और उन्हें सभी तरह के आराम देता है यह देखकर अकबर कहते हैं कि ऐसा करने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हारे पिताजी को देखने आया था क्योंकि मैं समझ रहा था कि उनकी तबीयत खराब है

 

तुम बहुत छोटे हो और खेत में काम कर रहे हो इसलिए मैं तुम्हारी help करना चाहता हूं यह बात सुनकर लड़के के पिता जी कहते हैं कि हमारे हाल चाल पूछने आए यही हमारे लिए बहुत है क्योंकि एक राजा हमारे पास आए हैं जो कि बहुत ही बड़ी बात है अकबर कहते हैं कि कोई भी बड़ा और छोटा नहीं होता है सभी अपने कर्मों से बड़े और छोटे होते हैं मैंने अपने कर्म किया मैं तुमसे मिलने के लिए आया हु तुम्हारी तबीयत खराब थी और तुम अपना कर्म कर रहे हो तुम मेरी सेवा कर रहे हो

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जीवन में कोई भी बड़ा और छोटा आदमी नहीं होता है सभी अपने कर्मों से बड़े और छोटे कहलाते हैं इसलिए अगर हमारे कर्म बड़े हैं तो हम एक बड़े इंसान कहलायेंगे यह सुनकर लड़के के पिताजी ने सोचा कि अकबर बहुत ही अच्छी सोच रखते हैं और यह हमारी मदद करने के लिए तैयार है इसलिए अकबर ने उस लड़के की मदद करने के लिए एक सैनिक को बुलाया और कहा कि जब तक इनके पिताजी की तबीयत ठीक नहीं हो जाती तुम इनके साथ काम करोगे यह सुनकर लड़का खुश हो जाता है और कहता है कि हमारे राजा बहुत अच्छे हैं जो सभी की मदद करते हैं, baccho ki kahani, baccho ki kahaniya 

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