प्रायश्चित की हिंदी कहानी, Hindi kahani

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Hindi kahani | story in hindi

प्रायश्चित की हिंदी कहानी, (hindi kahani) जब हमे इसका ज्ञान होता है, तब तक बहुत देर हो जाती है, इसलिए जीवन में ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे कभी इसका सामना करना पड़े, यह कहानी भी हमे यही सिखाती है, आपको यह कहानी पसंद आएगी,

प्रायश्चित की हिंदी कहानी :- Hindi kahani | Story in hindi

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एक परिवार में दो भाई रहते थे, बड़ा भाई बहुत ही अच्छा था, वह कभी किसी का भी बुरा नहीं चाहता था, but छोटा भाई अपने बड़े भाई से अलग था, वह हमेशा फायदे के लिए सोचा करता था, वह एक ही दूकान में काम करते थे, but हमेशा ही छोटा भाई यही सोचा करता था, की मुझे अधिक फायदा नहीं होता है, अगर मुझे अधिक धन कमाना है, तो मुझे कुछ और सोचना होगा, वह अपने बड़े भाई से मिला और कहने लगा की मुझे अपना हिस्सा चाहिए, जिससे में अधिक धन को कमा सकू इसमें मेरा गुजारा नहीं होता है,

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बड़े भाई ने कहा की ऐसा नहीं करना चाहिए सभी लोग क्या सोचेंगे, की हम दोनों भाई भी एक साथ मिलकर नहीं रह पाए है, but छोटा मान नहीं रहा था, बड़े भाई को अजीब लग रहा था, Because वह ऐसा नहीं करना चाहते थे, वह हमेशा मिलकर रहना चाहते थे, but ऐसा चलते दो दिन बीत चुके थे, but छोटा भाई सुन नहीं रहा था, बड़े भाई ने सोचा की मुझे कुछ और ही सोचना होगा,

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उसने छोटे भाई को बुलाया और कहा की में ऐसा करता हु, की में यहां से चला जाता हु, तभी तुम आराम से रह सकते हो, but छोटा कुछ भी नहीं बोला था, वह चुप-चाप अंदर चला गया था, और अगली सुबह ही बड़ा भाई चला गया था, और छोटे भाई के नाम एक खत लिखकर छोड़ा था, जिसमे लिखा था, अगर हम दोनों यहां पर अलग रहते है, तो हर कोई हमारे बारे में गलता ही सोचेगा, Because हम बहुत साल से एक साथ में रहते थे, अब अचानक ही अलग होना अच्छा नहीं था,

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इसलिए अगर तुम यहां पर अकेले रहते हो, तो कोई भी नहीं पूछेगा अगर कोई पूछता भी है, तो यह कह देना की मेने शहर में दूसरा काम कर लिया है, इस तरह कोई भी बात नहीं बनाएगा, अब छोटा भाई बहुत खुश था, अब उसे बहुत अधिक धन मिल सकता था, और वह हर रोज दूकान पर अकेला ही रहता था, और कुछ दिन तक तो ठीक चलता रहा था, but कुछ दिन बाद ही छोटा भाई कुछ अच्छा नहीं कमा पा रहा था, Because यह सब उसके घमंड की वजह से हुआ था,

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ज्यादा कमाने के चक्कर में वह सभी को बहुत उधार दे चूका था, but उसका कोई भी उधार वापिस नहीं आ रहा था, और लगभग एक साल बाद उसके साथ ऐसा हुआ, की वह बहुत अधिक कमाना चाहता था, but अब उसके गुजारे का भी पता नहीं था, अब वह अपने कर्मो पर पछता रहा था, वह अपने भाई को ढूढ़ने निकला था, but वह कहा गए यह उसे नहीं पता था, आज बहुत साल बीत गए वह आज भी उनकी राह देखता है, but अब कुछ भी पता नहीं है की वह कहा गए,

ऐसा बिलकुल भी नहीं करना चाहिए, but इंसान कुछ भी सोचता नहीं है, और गलत कर बैठता है, और जब तक उसे याद आता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, इसलिए बहुत समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए, अगर आपको यह Hindi kahani, story in hindi पसंद आयी है, तो आगे भी शेयर करे और कमेंट करके हमे भी बताये, 

 

मन में आये प्रायश्चित की हिंदी कहानी :- story in hindi

वह कहते है न की जब “प्रायश्चित” मन में आता है, तब मन बहुत ही हल्का हो जाता है, यह कहानी भी कुछ इस तरह की है, वह आदमी यही सोचा करता था जो भी गरीब उसके घर में खाना मांगने आता है वह कुछ करना नहीं चाहता है उस गरीब को सब कुछ मुफ्त ही चाहिए होता है इसलिए वह आदमी कभी भी उन्हें खाना नहीं देता है, शायद वह समझता था, यह सही नहीं है, मुझे गरीब को खाना नहीं देना चाहिए यही सोच उसकी बहुत गलत साबित होती है,

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एक दिन की बात है वह आदमी कुछ काम से दूसरे नगर में जा रहा था, रास्ते में बहुत बड़ा रेगिस्तान पड़ता था, उसको पार करके ही वह जा सकता था, उस दिन उस रेगिस्तान में बहुत बड़ा तूफ़ान आया था उसके चलते हुए वह सही से कुछ भी पकड़ नहीं पाया था, इसलिए वह उस हवा के साथ आगे बढ़ता गया था, वह नहीं जानता था, वह किस जगह पर जा रहा है, कुछ समय बाद ही जब वह तूफ़ान रुक गया तो वह देखता है की एक जगह उसे नज़र आ रही है, यह जगह कौन सी है, वह नहीं जानता है, लेकिन उस जगह पर बहुत से साधू घूम रहे है,

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उस आदमी की हालत अब ठीक नहीं थी, उसे बहुत प्यास लगी थी, वह बहुत थक गया था, वह सोच रहा था, मुझे उन साधु के पास जाना चाहिए वह साधु के पास जाता है, उस जगह पर साधु की बहुत अधिक झोपडी बनी हुई थी, वह एक साधू से पानी मांगता हैं, क्योकि उसे प्यास लगी थी, एक साधू उसके लिए पानी लाता है, दूसरा साधू उसके लिए भोजन लाता है, भोजन देखकर वह आदमी कहता है, की मुझे भूख लगी है, लेकिन यह बात आपको कैसे पता चली है, वह साधु कहता है, ऐसी बात नहीं है,

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Hindi kahani, story in hindi, आप हमारे यहां पर आये है आप हमारे मेहमान है, इसलिए आपकी सेवा करना हमारा धर्म है यह सुनकर वह आदमी अपने समय को याद करता है जब कोई भी साधु उसके पास आता था, वह उसे कुछ नहीं देता था, आज उसके मन में “प्रायश्चित” आ रहा था, आज वह सोचता है की जीवन में उसने आज तक किसी को भी दान नहीं दिया है, किसी को भी भोजन नहीं दिया है, लेकिन उसे बिना मांगे ही भोजन मिल गया है, यह सोचकर आज के बाद वह सभी को दान देगा उसके बाद उसका जीवन ही बदल गया है, हमे भी जीवन में वही कमा करने चाहिए जिसमे सभी का भला हो सके,

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