ईश्वर है, short stories in hindi

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ईश्वर है

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ishwar, short stories in hindi, हर इतवार हम सभी लोग एक बैठक करते है और उसमे किसी न किसी विषय पर चर्चा जरूर होती है ये चर्चा करना का मतलब बहस करना नहीं है बल्कि हम सभी लोग एक दूसरे के सम्पर्क में रहे और एक दूसरे के काम आये, इतवार ही हम सबने चुना हुआ था इस दिन किसी को कही बहार नहीं जाना होता है.

 

इस बैठक में कुछ ही सदस्य होते है जो की एक दूसरे को भलीभांति जानते है और सम्पर्क में रहते है, आज बैठक का दिन है और रजनी भी इसका एक हिस्सा है रजनी बैठक में जाने को त्यार ही हो रही थी की हल्की हल्की बारिश शुरू हो गयी बैठक का समय सुबह दस बजे का रखा हुआ था सभी लोग बैठक में जाने के लिए तैयार हो रहे थे.

रजनी जैसे ही निकली बारिश हलकी थी सो छाता लाना जरुरी नहीं समझा और ऐसी ही निकल गयी पर बारिश का मौसम पता नहीं कब बदल जाए अचानक ही तेज हो गयी और रजनी बारिश में ही भीग गयी रामनिवास जो की रजनी के अच्छे मित्र है रजनी उनके पास गयी और कहा की बैठक में नहीं चलना है क्या रामनिवास ने कहा की तुम तो भीग गयी हो रुक जाओ पहले अपने आप को सूखा लो फिर चलते है,

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रामनिवास ने अपने कुर्ते और पजामा रजनी को दिया और दोनों तैयार हो गए और साथ में ही बैठक पहुंचे सभी लोग आ चुके थे और बैठक शुरू हुई आज का विषय सभी सोच रहे थे की किस पर बात की जाए तभी रजनी ने कहा की आज हम ईश्वर पर बात करते है, क्या ईश्वर है या नहीं,

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रामनिवास ने कहा की ठीख है पहले तुम बताओ की तुम्हे ईश्वर पर विस्वास है या नहीं रजनी ने कहा की मुझे नहीं लगता है की मुझे ईश्वर पर विस्वास है, पर जब में घर से निकली तो बारिश हो रही थी पर मेने कहा की हे  ईश्वर आज की बैठक जरूर हो इसलिए बारिश बहुत हल्की हो गयी है अब ये मेरा बह्म भी हो सकता है क्योकि मुझे ईश्वर पर भरोसा नहीं है

 

क्योकि आज के युग में बहुत से ईश्वर पर विस्वास करते है और बहुत नहीं,  

 

रामनिवास ने कहा ठीक तुम विस्वास नहीं करती हो ठीख है तो ये बताओ की हमारी पृथ्वी क्यों घूम रही है क्या इसे हम लोग घुमा रहे है नहीं न अब बताओ इस बारे में तुम क्या सोचती हो,

 

रजनी इस सवाल के बारे में चुप है

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रामनिवास तुम तो मानती हो की कोई भी वास्तु अपने आप नहीं चलती उसके पीछे उसके चलने के कारण छुपे होते जैसे अगर कोई व्यक्ति कार चलाता है तभी कार चलती है या पाने आप ही कार चलती है तभी पीछे से रघु बाबू ने कहा की रामनिवास जी घडी भी तो अपने आप चलती है

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रामनिवास रघु बाबू घड़ी उतनी देर चलती है जितनी उसमे ऊर्जा भरी होती है ऊर्जा खत्म फिर घड़ी भी रुक जाती है पर पृथ्वी तो आज भी चल रही है शायद करोड़ो सालों से ऐसी ही चली आ रही है रघु बाबू भी सोचने लगते है 

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सभी बातों का जोर इस पर था का ईशवर है या नहीं पर कोई नतीजा नहीं, तभी सुरेश जी बोलते है तो चलिए इस पहलू पर नज़र डालते है की सबसे पहले दुनिया कैसे बनी इसका निर्माण कैसे हुआ पर इस बात का भी कोई सत्य प्रमाण नहीं था अगर हम सभी लोग इस बात को मान भी लेते है की इसकी रचना भगवान् ने की है तो भगवान् की रचना किसने की है क्या इस बात का प्रमाण है शायद नहीं

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रामनिवास कहते है की प्र्शन्न यही पर वापिस घूम गया है की भगवान् है या नहीं वो कहते है है न दुनिया गोल है इसलिए ये प्र्शन्न भी यही रुक गया अब बात भी यही ठहर गयी की क्या सच है हां अगर हम ये बाते माने की जब भी हम पर कोई मुसीबत आती है तो हम बहगवां को ही याद करते है कभी कभी मुसीबत तल भी जाती है तो क्या हम भगवान् को याद करते है नहीं न क्यों, क्या ये जरुरी नहीं है की हमे भगवान् को याद रखना चाहिए,

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इस दुनिया में मौसम, दिन रात हमारा जीवन कुछ तो ऐसे संकेत है जिनका रहस्य शायद ही कोई पता कार सके कोई बात जरूर है नहीं तो हम आप यह पर क्यों है शायद भगवान् ही है जिसके कारण दुनिया चलती है और सब कुछ बदलता है तभी जीवन भी है और सभी का जीवन उन्ही के हाथ में है,

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बातें करते करते अब बहुत वक़्त बीत गया था सभी लोगो का विचार था की अब अगले इतवार ही हम सब मिलेंगे पर ईश्वर के बारे में अब कोई भी चर्चा नहीं करेगा क्योकि इस विषय के बारे में हमे ज्ञान नहीं है और इस बहस का भी कोई अंत नहीं है क्योकि इंसान आज भी बहुत से रहस्य बिलकुल भी नहीं जानता तो हम किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते है

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ishwar, short stories in hindi, सभी लोग अपने अपने घर पहुंच जाते है शायद आप भी यही सोच रहे होंगे की ईश्वर है या नहीं दोस्तों ईश्वर है तभी तो सब कुछ चल रहा है नहीं तो अपने आप तो कोई चीज हिल भी नहीं सकती है अगर आपको यह छोटी वार्ता पसंद आयी है तो आगे भी शेयर करे और कमेंट करके हमे भी बताये. 

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