जादुई पेड़ की कहानी, Short panchatantra stories in hindi

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Short panchatantra stories in hindi

जादुई पेड़ की कहानी, Short panchatantra stories in hindi, यह कहानी आपको जरूर पसंद आएगी, सभी लोग उस जादुई पेड़ को देखने जाते है, मगर वह उन्हें आसानी से नज़र नहीं आता है, जब वह उस पेड़ को देखते है, तो वह बहुत अच्छा लगता है, 

जादुई पेड़ की कहानी : Short panchatantra stories in hindi

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short panchatantra stories in hindi

यह कहानी उस पेड़ की है, जिसको देखने पर ऐसा ही लगता था, की वह कोई जादुई पेड़ है, क्योकि उस पेड़ की सभी पत्ती सुनहरे रंग की थी, वह पत्ती बहुत ही अच्छी दिखाई देती थी, सभी लोग उस पेड़ की तलाश कर रहे थे, मगर किसी को भी वह पेड़ अभी तक नहीं मिला था, उस पेड़ के बारे में अभी तक सूना ही था, मगर किसी ने देखा नहीं था, गांव का एक पुराना आदमी जिससे सभी दादा जी कहते थे, वही इसके बारे में बताते थे,

 

उनके कहने के अनुसार जब वह उस पेड़ के पास गए थे, तो उन्हें उसके बारे में पता चला था, जब वह उस पेड़ के पास थे तब उन्हें बहुत भूख लगी थी, वह उस पेड़ के पास यही कह रहे थे की आज मुहे बहुत भूख लगी है मगर मेरे पास कुछ भी नहीं है कुछ देर बाद ही उस पेड़ से मुझे खाना भी मिल गया था, वह खाना जब मेने खाया तो बहुत ही अच्छा था, तब से उस पेड़ के बारे में मुझे पता है, मगर खाना खाने के बाद पता नहीं क्यों नींद आ गयी थी, जब आँखे खुली तो में अपने खेत के पास था,

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मुझे नहीं पता है की में वहा पर कैसे आया था, मगर वह जादुई पेड़ अभी भी वही पर होगा, जब सभी वहा पर आये तो वह कहने लगे की आपने हमे बहुत बार बताया था मगर यह बात अभी तक नहीं बताई की उस पेड़ के पास आप कैसे गए थे, वह जादुई पेड़ अब किस जगह पर है, कुछ भी पता नहीं चल रहा है, तभी वह दादा जी कहने लगे की यह बात बहुत अजीब है, में उस जगह पर कैसे गया था, उस रात मुझे काफी देर हो गयी थी

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जब बहुत देर हो गयी तो मेने सोचा की आज घर पर नहीं जाता हु, में खेत पर ही रुक गया था मगर कुछ देर बाद ही मौसम बहुत खराब हो गया था, उसके बाद मेरे पास एक छोटी सी झोपडी थी, उसी में रुक गया था मगर तूफ़ान भी बहुत तेज था झोपडी भी उड़ गयी थी, उसी झोपडी के साथ में भी कुछ दुरी तक गया था फिर जब देखा तो देखता ही रहा गया था, क्योकि में ऐसी जगह पर पहुंच चूका था, जिसके बारे में मेने सोचा नहीं था, मगर यह जगह कहा पर है यह पता नहीं है,

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सभी ने यही कहा था की अब कुछ भी पता नहीं चल पायेगा, की हम उस जगह पर कैसे जाए, क्योकि कोई भी रास्ता नज़र नहीं आ रहा था, तभी दादा जी कहने लगे की यह बहुत ही कठिन है क्योकि कोई भी रास्ता नहीं जानता है मगर कोशिश की जाए तो कुछ भी हो सकता है, वह अंदर गए और उन्होंने ने एक पत्ती सभी को दिखाई थी, वह देखने पर साधारण पत्ती थी, मगर दादा जी कहने लगे की भले ही तुम्हे यह साधारण पत्ती नज़र आये मगर ऐसा नहीं है क्योकि यह उस पेड़ की पत्ती है,

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जब में सो गया था तब मेरे हाथ में यह आ गयी थी, मगर जब मेने इसे देखा तो इसमें कोई भी चमक नज़र नहीं आ रही थी आज यह साधारण पत्ती नज़र आती है मगर यह रास्ता दिखा सकती है जब भी यह पत्ती उस पेड़ के नजदीक आएगी, तो यह चमक सकती है मगर यह कितना सच है यह पता नहीं है यह सिर्फ एक अंदाजा है अगर तुम चाहो तो यह कर सकते हो, तुम इससे देख सकते हो की वह पेड़ कहा पर है, अब में बहुत बूढ़ा हो गया हु, मगर मेने बहुत बार कोशिश की थी, लेकिन उस जादुई पेड़ को नहीं देख पाया था 

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सभी ने उस पत्ती को लिया था, और उसके बाद उस पत्ती को लेकर चले गए थे, उन्हें भी यही लगता था की वह उस जादुई पेड़ को देख पाएंगे, मगर वह उस जादुई पेड़ की तलाश किस जगह पर करे, उनमे से एक बोला की हमे दादा जी के खेत के पास से शुरू करनी चाहिए, क्योकि वह पहली बार इसी जगह से वही पर गए थे सभी कहने लगे की अगर वह पेड़ हमे एक बार मिल जाए तो बहुत अच्छा होगा, में बहुत सी चीजे मांग सकता हु, सभी का कहना बहुत अच्छा था, मगर उस जादुई पेड़ को देख पाना बहुत मुश्किल था,

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इस बात को अब बहुत साल बीत गए थे, मगर वह जादुई पेड़ कहा पर है, यही जगह है जिस जगह पर वह दादा जी उस जादुई पेड़ के पास चले गए थे, मगर यह सब एक तूफ़ान के कारण था, अब यहां पर वह तूफ़ान कैसे आएगा, मुझे नहीं लगता है की यह कोई आसान बात है, अगर आसान होता तो दादा जी फिर से जा सकते थे, मगर ऐसा नहीं हुआ था, वह फिर कभी भी उस जादुई पेड़ के पास नहीं गए थे, हम सभी यह पत्ती लेकर आये है, मगर हमे नहीं लगता था. की यह काम करेगी,

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हमे कुछ तो सोचना होगा, तभी सभी की उस पत्ती पर नज़र जाती है, वह पत्ती चमक रही थी, मगर कुछ नज़र नहीं आ रहा था यहां पर तो कोई भी जादुई पेड़ नहीं है, तभी वह बहुत साल बाद तूफ़ान फिर से आया था वह तूफ़ान उन्हें भी उसी जादुई पेड़ के पास ले गया था, उस पेड़ को देखकर बहुत अच्छा लगा रहा था उन्हें यकीन नहीं हो रहा था की यह वही पेड़ है जिसकी तलाश वह बहुत साल से कर रहे थे, जैसा की दादा जी ने कहा था की यह जादुई पेड़ है यह वैसा ही लग रहा है,

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वह उस जादुई पेड़ के नीचे खड़े थे, सभी ने कहा की हमे अपनी इच्छा पूरी करनी होगी, सभी ने उस पेड़ से सब कुछ माँगा था सभी की इच्छा पूरी हो गयी थी, मगर कुछ देर बाद ही सभी को नींद आ गयी थी और उसके बाद सभी लोग वापिस आ गए थे, उनके साथ क्या हुआ था वह भी नहीं जानते थे, मगर उनकी सभी इच्छा का फल तो वही पर ही रह गया था उनके पास कुछ भी नहीं था, वह इतने साल से परेशान थे मगर उनके साथ कुछ भी ऐसा नहीं आया था, जो वह साथ में लेकर आ सकते थे,

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जैसा वह सोचते थे ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था उन्हें तो यही लगता था की उनकी इच्छा पूरी हो जाती तो उन्हें बहुत कुछ मिलता था मगर उन्हें तो कुछ भी नहीं मिला था, वह इतने साल से यही सोचते थे की अगर वह पेड़ उन्हें मिल जाए तो बहुत कुछ मिल सकता है, मगर यह तो सिर्फ जादुई पेड़ के पास ही हो सकता था उसके बाद तो सब कुछ नार्मल हो जाता है, मगर इन सबके बाद तो उन्हें सिर्फ एक चीज हाथ में आयी थी वह सुनहरा पत्ता, जो अब साधारण बन चूका था.  short panchatantra stories in hindi, जादुई पेड़ की कहानी, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आप इसे शेयर जरूर करे और कमेंट करके हमे भी बताये,

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