Hindi short moral stories
Hindi short moral stories, एक गाव में महाजन रहता था महाजन बड़ा ही कंजूस था पर महाजन की पत्नी बहुत ही खाना खाती थी, इस बात की खबर उस महाजन को बिलकुल भी नहीं थी, एक दिन महाजन राशन के लिए बाजार गया और सोचा की आज कुछ महीने के लिए राशन ले लेता हु फिर बार बार लाना पड़ता है इस बार महाजन ने सभी सामान कुछ महीने के लिए लगवा लिया और सामान लेकर वो अपने घर की और चल दिया,
महाजन की कंजूसी हिंदी मोरल कहानी :- Hindi short moral stories
घर पहुचने पर उसने अपनी पत्नी को आवाज दी और कहा की ये लो महीने भर का समान अब बार बार मत कहना की ये खत्म हो गया ले आओ, महाजन की पत्नी कहा की ठीक में इस सामान को अंदर रख देती हू.फिर महाजन ने कहा की मुझे दो दिन के लिए किसी काम से बहार जाना पड़ेगा तुम ऐसा करो की कुछ खाना बना दो में साथ लेकर चला जायूँगा
जैसे ही महाजन गया :-
फिर महाजन की पत्नी ने खाना बनाया और महाजन खाने को लेकर महाजन चला गया, जैसे ही महाजन गया महाजन की पत्नी ने खाना बनाना शरू कर दिया बढ़िया खाना बनाया और मीठे पकवान बनाये और सारा खाना घी में बनाया और ऐसा दो दिन तक चलता रहा, फिर दो दिन बाद महाजन आया और फिर वो ही सामान्य खाना बना जो की महाजन के समय में बनाता है,
पर महाजन को कुछ शक हुआ की राशन में घी की मात्रा कुछ कम लग रही थी जिसमे की दो दिन में तो इतना घी खत्म नहीं हो सकता, महाजन को लगा की कही ये मेरे पीछे कुछ ज्यादा तो इस्तमाल नहीं कर रही, इस पर महाजन ने सोचा की इस बारे में पता लगाया जाए की क्या हो रहा है, फिर महाजन ने एक योजना बनाई और अपनी पत्नी से कहा की दो दिन बाद मुझे किसी काम से एक हफ्ते के लिए बहार जाना है,
पत्नी ने वो ही खाना बनाया :-
ऐसा करो की कुछ खाने के लिए बना दो और कुछ बांधने के लिए भी बना देना जिसको में रस्ते में खा लूंगा, महाजन की पत्नी ने वो ही खाना बनाया जिसको महाजन ने कहा था, सब कुछ तैयार हो गया और महाजन वह से चला गया, महाजन कुछ दुरी पर जाकर रुक गया और रात का इंतज़ार करने लगा जब रात हुई तो महाजन अपने घर में गया और छिप गया उधर महाजन की पत्नी अपने पडोश में गयी हुई थी और अपने साथ अपनी एक सहेली को ले आयी क्योकि महाजन की पत्नी एकेली थी इसलिए वो अपनी सहेली को साथ में सोने के लिए बुला ले आयी,
सोने से पहले महाजन की पत्नी ने बढ़िया खाना बनाया और साथ में मिलकर खाना खाया और महाजन ये सब छिप कर देख रहा था की उसके पीछे राशन कितना बनता है, आधी रात हुई और महाजन की पत्नी उठी और बोली की बूख लग रही रही ऐसा करो की तुम देसी घी में हलवा बना लाओ हम दोनों खा लेंगे, उसकी सहली ने हलवा बनाया और दोनों ने मिलकर खाया, इसे देख कर महाजन को बहुत ही गुस्सा अय्या और सोचा की देखो दूसरे को भी घी खिला रही है,
जरुरी समान तो घर भूल गया :-
अब सुबह होने वाली थी देखा महाजन ने की अब महाजन जंगल में वापिस जाकर दुबारा
वह से वापिस आने लगा और महाजन की पत्नी कुए से पानी को लेकर आ रही थी
तभी महाजन को देख कर रुक गयी और बोली की तुम वापिस कैसे आ गए,
महाजन कहा की रस्ते में मुझे लगा की अपना जरुरी समान तो घर भूल गया हू
इसलिए वापिस उसे ही लेने आया हू, पर महाजन की पत्नी को कुछ शक हुआ की
महाजन कुछ भूलते नहीं है, पर ये कैसे हो गया,
फिर दोनों घर की तरफ चल दिए और महाजन बोला की रात को मुझे सपना आया की
में हलवा खा रहा हू और मेरा मित्र वो हलवा बना रहा था और
मेने सपने में देखा की मुझे बहुत ही अच्छा पकवान मिल रहे है और
में पेट भर कर खा रहा हू,
hindi short moral stories, अब महाजन की पत्नी को पूरा यकीं हो गया की महाजन को सब पता चल गया है, फिर उसके बाद महाजन ने कभी भी अपनी पत्नी को नहीं रोका और कभ भी उसकी पत्नी ने पकवान नहीं बनाये, महाजन की कंजूसी भी छूट गयी पर खाना वही सामान्य बनता रहा……