माफ़ करना सीखिए कहानी

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Hindi bal kahani

Hindi bal kahani, एक दिन एक साधु महाराज जी एक गांव में उपदेश देने आते हैं और वह लोगों को समझाते हैं कि हमें जीवन में कभी भी पुरानी बातों को याद करके दुखी नहीं होना चाहिए और हमें दूसरों को माफ कर देना चाहिए हमेशा सत्य बोलना चाहिए और किसी को भी दुखी नहीं करना चाहिए

माफ़ करना सीखिए हिंदी मोरल कहानी :- Hindi bal kahani

क्योंकि ऐसा करने से हमारे जीवन में बहुत अधिक समस्याएं जो कि हमें परेशान करते हैं वह कम हो जाएगी सभी लोग साधु महाराज जी की बातें बहुत ही ध्यान से सुन रहे थे उनका पालन करने के लिए अपने मन में सोच रहे थे वहीं पर एक व्यक्ति बैठा हुआ गुस्सा कर रहा था क्योंकि उसे यह बातें समझ नहीं आ रही थी वह थोड़ी देर बातें सुनने के बाद साधु जी से कहता है कि यह बातें मुझे समझ नहीं आती है

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आज का जीवन इन बातों से नहीं चल सकता यह सब बेकार की बातें हैं और हमारे जीवन में समस्या खड़ी कर सकती है इसलिए मैं आपकी बात मानने के लिए तैयार नहीं हूं मुझे लगता है कि तुम्हें कोई ज्ञान नहीं है तुम यहां पर लोगों को परेशान करने के लिए आए हो और वह बातें कह रहे हो जिनका आज के जीवन में कोई महत्व नहीं है उसके बाद वह आदमी वहां से चला जाता है और वह साधु महाराज जी को बहुत बुरा कहता है लेकिन साधु महाराज जी चुप रहते हैं

 

वह उसकी बात का जवाब नहीं देते हैं और जब वह व्यक्ति घर पहुंच जाता है उसके बाद उसका गुस्सा शांत हो जाता वह व्यक्ति सोचने लगता है कि मैंने साधु महाराज जी को बहुत बुरा भला कहा है मुझे अब पछतावा हो रहा है मुझे उनसे माफी मांगनी चाहिए उन्होंने मुझे कुछ भी नहीं कहा जब कि मैंने उन्हें बहुत बुरा कहा और वह व्यक्ति साधु महाराज जी को खोजने जाता है लेकिन मैं साधु महाराज जी उस जगह पर नहीं थे

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वह कुछ समय के लिए ही वहां पर उपदेश देने आए थे और अब दूसरे गांव चले गया वह आदमी दूसरे गांव में जाता है और साधु महाराज जी को खोजता है उसके बाद साधु महाराज जी मिल जाते हैं और वह उनसे अपनी गलती के लिए क्षमा मांगता है, वह व्यक्ति साधु महाराज जी से कहता है कि मुझे माफ कर दीजिए मैंने आपको बहुत बुरा भला कहा है यह सुनकर साधु महाराज जी कहते हैं कि मैं तुम्हें नहीं जानता तुम कौन हो और तुम किस गलती के लिए क्षमा मांग रहे हो

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यह सुनकर आदमी कहता है कि कल मैंने आपको बहुत बुरा भला कहा था

मैं दूसरे गांव से आया हूं आपने मेरी बातों को सुना था

लेकिन कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी थी

मुझे घर जाकर बहुत ही पछतावा और मुझे लगा कि मैंने जो आपसे कहा है

वह ठीक नहीं कहा है अब साधु महाराज जी उस व्यक्ति से कहते हैं कि

तुमने पछतावा कर लिया है

अब तुम्हारी सभी गलतियां माफ की जा रही है

क्योंकि तुम्हारे अंदर पछतावा है

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अब तुम्हें समझ में आ गया है कि जीवन में सभी को माफ करना ही बहुत बड़ा ज्ञान है अगर तुम किसी को माफ कर देते हो तो इससे अधिक खुशी कहीं नहीं हो सकते इसलिए जीवन में कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए और अपने लिए हमेशा अच्छा सोचना चाहिए अगर तुम पुरानी बातों को याद करके दुखी होते हो और उन पर विचार करते हो तो तुम अपना आने वाला कल भी खराब कर सकते हो

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Hindi bal kahani, आज तुम्हें अपनी गलती का पछतावा हो गया है और अब तुम निर्मल हो चुके हो तुम्हारे अंदर कोई बुराई नहीं है यह सुनकर वह व्यक्ति उस दिन से अपने जीवन को बदल चुका था क्योंकि साधु महाराज जी की बातों को सुनकर समझ गया था कि हमें जीवन में सभी बातों को सोच समझ कर कहना चाहिए 

गीदड़ की सीख मोरल कहानी :- Hindi bal kahani

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hindi bal kahani

Hindi bal kahani, एक बार की बात है एक जंगल में सर्कस वालों का एक पिंजरा छूट गया उसमें एक शेर बंद था जंगल के उस रास्ते से कोई नहीं गुजरा जहां वह शेर पिंजरे में बंद हुआ था जंगल के सभी जानवर उसे देखकर दूर से ही निकल जाते.

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शेर का भूख के मारे बुरा हाल था क्योंकि एक हफ्ता हो गया था बिना कुछ खाये है कुछ खाने के लिए अच्छा मास मिला नहीं था और ना ही कोई जानवर, एक दिन एक ब्राह्मण अचानक वहां से गुजरा शेर ने ब्राह्मण को देखकर उसे सलाम किया और कहा मेरा पिंजरा खोल दो मैं बहुत दिनों से भूखा हूं और परेशान भी हूं ब्राह्मण सीधा-साधा था उसे शेर के पिंजरे को खोल दिया

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पिंजरे से बाहर निकलकर शेर बोला मैंने कई दिनों से कुछ नहीं खाया अब मैं तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटा लूंगा ब्राह्मण डर गया बोला मैंने तो तुम्हारा भला किया और तुम मुझे ही खाना चाहते हो मैंने ही तो इस पिंजरे से निकाला है तुम मुझे कैसे खा सकते हो शेर बोला मुझे तो भूख लगी है और भूख के आगे मैं कुछ भी नहीं देख सकता अभी वहां कहीं से एक गीदड़ आ गया उसने शेर को नमस्कार किया उसने कहा क्या हुआ ब्राह्मण ने उसे सारी बात बताई

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गीदड़ को ब्राह्मण पर दया आ गई गीदड़ ने शेर से कहा आप तो जंगल के राजा हो आप को भला कौन मना सकता है पर आप मुझे एक बात बताइए आप इस पिंजरे में कहां से आए और इस ब्राह्मण ने आपको कैसे निकाला, शेर पिंजरे के अंदर गया और कहने लगा देखो मैं इस पिंजरे में ऐसे बैठा था जैसे शेर पिंजरे के अंदर गया ब्राह्मण ने बाहर से जल्दी से पिंजरा बंद कर दिया और शेर पिंजरे के अंदर फिर से बंद हो गया यह देखकर शेर गुस्से से लाल पीला होने लगा और कहने लगा मुझे एक बार बाहर निकालो

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Hindi bal kahani, मैं तुम्हें और इस ब्राह्मण को नहीं छोडूंगा गीदड़ बोला तुम जंगल के राजा नहीं हो सकते तुम जैसे जानवर को तो पिंजरे में ही रहना चाहिए जंगल में वही रह सकता है जो जंगल में सभी जानवरों के साथ रहे और प्रेम भाव से रहे, ब्राह्मण ने गीदड़ का धन्यवाद किया क्योंकि उसने अपनी सूझबूझ और समझदारी से उसकी जान बचाई ब्राह्मण को यह पता चल गया कि किसी भी काम को करने से पहले सौ बार सोच लेना चाहिए जल्दबाजी में किया गया काम मुसीबत ही लाता है.

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