एक नाटक से सीख हिंदी कहानी, Ek natak in hindi with moral story

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Ek natak in hindi with moral story | Hindi me kahani

एक नाटक से सीख हिंदी कहानी, Ek natak in hindi with moral story, जब सब ने मिलकर एक नाटक खेला तब उसकी आदत में कुछ सुधार हो सका, बात बहुत समय पहले की है, एक परिवार में रोहन नाम का लड़का रहता था, रोहन की उम्र अभी लगभग बीस साल की होगी, उसमे कुछ आदत ऐसी थी की अगर उसके सामने कोई बात को कह दे तो वह उस बात को सबको बता देता था, उसकी इस आदत सभी लोग परेशा थे,

एक नाटक से सीख हिंदी कहानी : Ek natak in hindi with moral story

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Ek natak in hindi with moral

परिवार वालो ने कुछ ऐसा सोचा की जिससे इसकी आदत में कुछ सुधार हो सके, पर उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था, पूरा परिवार जब भी कोई बात करता था तो रोहन को पहले ही देख लिया जाता था, की कही वो आस-पास तो नहीं है, ये बात कोई भी नहीं जनता था की रोहन ऐसा क्यों करता है, but जब भी वो बात करते थे तो उसको पहले देख लेते थे, 

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एक दिन सभी लोग यह कह रहे थे की तुम्हे रोहन को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए शायद कुछ पता चल पाए की बात क्या है, उन्होंने ने बताया की हम पहले ही दिखा चुके है but डॉक्टर ने तो यही कहा था की यह बड़बोला है इसलिए कह देता है, बाकी सब ठीक है, इसे कोई बीमारी नहीं है, अब सभी घर के परेशान लोगो ने नाटक खेलने की सोची इससे शायद यह सुधर जाए,

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एक दिन सबने रोहन से कहा की आज हम सभी किसी काम से बहार जा रहे है और रात को ही वापिस आयंगे, सभी लोग यह बात कहकर चले गए रोहन अब घर में अकेला था रात होने में अब जयादा समय नहीं था, कुछ देर बाद रात होने वाली थी, जब रात हुई तो घर का सदस्य भूत बनकर रोहन के पास आया, रोहन ने पहले कभी भूत को नहीं देखा था इसलिए उसने पूछा की भाई तुम कौन हो और मेरे घर में क्या कर रहे हो,

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उसने कहा की में भूत हु, रोहन ने कहा की भूत वो क्या होता है, अब ये कोई नहीं बता सकता था की भूत क्या है और क्यों है, उसने कहा की तुम्हे डर लग रहा है, रोहन ने कहा की मुझे कोई डरा भी नहीं सकता है, और इसमें डर किस बात का है भूत ही तो हो, चलो में घर में अकेला हु तुम कुछ खाने को बना दो, रोहन को भूख भी बहुत लग रही थी, वह तो परेशान होकर वह से चला गया,

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परिवार का दूसरा स्दस्य भी  कुछ बनकर आया और इस बार रोहन को बहुत गुस्सा आ रहा था वह भूखा भी था, और उसे कोई खाना भी नहीं दे रहा था, जब वह घर का स्दस्य वहा पर आया तो रोहन ने कुछ भी नहीं देखा और उसे मारना शुरू कर दिया था, रोहन कह रहा था की मेरे खाने को कुछ भी नहीं है और हर बार कोई-न-कोई में भूत हु, यह कह रहा है, 

Ek natak in hindi with moral story

अब सब परेशान थे कोई रोहन को नहीं सुधार सकता था, सबने हार मान ली थी, जो डरता नहीं है, वो कैसे बात को मान सकता है, हम कुछ को बदलना चाहते है पर हार बार ऐसा नहीं होता है, कुछ चीजे बदली नहीं जा सकती है बल्कि हमे उनके अनुसार चलना पड़ता है, अगर आपको यह एक नाटक से सीख हिंदी कहानी पसंद आयी है तो आप शेयर जरूर करे. 

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