Stories in hindi
बेवकूफ नाई की हिंदी कहानी, stories in hindi, यह कहानी आपको अच्छी लगेगी, इस कहानी में एक नाई है, जो बाल काटता है, मगर उसे एक आदत भी है, जिससे वह बहुत परेशान रहता है.
बेवकूफ नाई की हिंदी कहानी : stories in hindi
एक गांव मैं राजा किरोड़ीमल का राज हुआ करता था. एक दिन की बात है, राजा को अपने बाल कटवाने थे, लेकिन उसका शाही “नाई” उस समय राजदरबार मैं नहीं था. तो उन्होंने अपने दरबारी से कहा की , तुम बाजार मैं जाकर किसी “नाई” का बंदोबस्त करो , क्योकि मुझे अपने बाल आज ही कटवाने है. गांव मैं एक ही “नाई” था, लेकिन उसकी एक बुरी आदत थी की ,
वो देखि और सुनी बातो की आसानी से अपने पेट मैं नहीं पचा पाता था. तो उसे ही राजा के बाल काटने के लिए दरबार मैं हाजिर किया गया. राजदरबार जाकर “नाई” राजा के बाल काटने लगा तो उसने देखा कि राजा के कान हाथी जैसे बड़े कान है, जो कि पगड़ी व राजमुकुट के कारण दिखाई नहीं देते थे . नाई हजामत करके जाने लगा तो राजा ने “नाई” को पैसे देकर कहा यहां जो कुछ तुमने देखा है, वह किसी को नहीं बताओगे . मेरे कानों का राज तुमने जान लिया है . यह राज तुमने किसी को भी बताया तो तुम्हें पकड़वाकर कोड़ों की सजा भी मिलेगी . लो, राज को राज रखने के लिए यह मोती की माला इनाम में ले जाओ .
“नाई” ने निश्चय कर लिया कि राजा के कानों के बारे में किसी को नहीं बताएगा वरना उसे सजा मिलेगी . “नाई” घर पहुंचा तो बार बार उसका मन करता कि वह राजा के कानों के बारे में अपनी पत्नी को बता दे . परंतु सजा के डर से उसने पत्नी को नहीं बताया और रात भर करवटें बदलता रहा . एक दो बार पत्नी ने भी पूछा कि क्यों बेचैन हो रहे हो, फिर भी वह चुप रहा . अगले दिन वह दुकान पर गया तो उसका मित्र हजामत बनवाने आया . “नाई” ने सोचा कि मित्र को बताने में क्या हर्ज है .
फिर याद आया कि राजा सजा देंगे और कोड़ों से पिटवाएंगे . अत: कुछ न बोला . “नाई” का मन बेचैन हुआ जा रहा था . वह अपनी बात किसी को बताना चाहता था . “नाई” अपनी बेचैनी कम करने के लिए अपने रिश्तेदार के यहां गया ताकि राजा के कानों के बारे में बता सके . परंतु वहां जाकर भी डर के मारे हिम्मत नहीं हुई . “नाई” बहुत बेचैन हो गया . उसके पेट में दर्द होने लगा . वह हर समय यही सोचता रहता कि राजा के कानों के बारे में किसे बताए . धीरे धीरे उसका पेट दर्द बढ़ने लगा तो वह और भी परेशान हो उठा . उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे, क्या न करे . घबराहट में नाई जंगल की ओर भागा .
उसने सोचा कि जंगल में पेड़ पौधे तो बेजुबान होते हैं, क्यों न उन्हें ही बता दिया जाए . कुछ सोच विचार के बाद वह एक पेड़ के पास गया और जाकर धीरे से बोला राजा के हाथी के कान, राजा के हाथी के कान . अचानक “नाई” का पेट दर्द ठीक हो गया और वह घर वापस आ गया . उसी दिन जंगल में एक लकड़हारा लकड़ी काटने गया तो एक बड़ा वृक्ष देखकर उसकी लकड़ी काटने लगा . संयोगवश यह वही वृक्ष था, जिसे “नाई” ने अपना राज सुनाया था .
उस पेड़ को काटकर उसकी ढोलक बनाई गई . ढोलक एक घर में विवाह के अवसर पर बजाई गई तो ठीक से बजने के स्थान पर खास आवाज निकल रही थी . लोगों ने सुना ढोलक बार बार कह रही थी राजा के हाथी के कान, राजा के हाथी के कान . पहले तो लोगों को यकीन नहीं हुआ, परंतु बार बार ढोलक यही कहती रही . पूरे गांव में खबर फैल गई राजा के हाथी के कान . लोग ढोलक का गाना सुनने के लिए उसे किराए पर लेने आते और खूब मजा लेकर सुनते . अब पूरे गांव में राजा के कानों की चर्चा थी .
धीरे धीरे खबर राजा तक पहुंची . राजा जानता था कि इस नाई के अलावा यह काम किसी का नहीं हो सकता . फिर उसने “नाई” को बुलवा भेजा . नाई डरता डरता आया . राजा ने कहा तुमने हमारी आज्ञा का उल्लंघन किया है, तुम्हें सजा अवश्य मिलेगी . “नाई” राजा के पैरों में पड़कर गिड़गिड़ाने लगा. मैंने तो सिर्फ पेड़ से कहा था . राजा का दिल पिघल गया और आज्ञा दी कि सजा के तौर पर इसे कोड़े जरूर मारे जाएं ताकि यह इधर की बात उधर करने की आदत को सुधार सके . “नाई” पर जमकर कोड़े बरसाए गए और उसने कसम खाई कि वह कभी भी इधर की बात उधर नहीं करेगा . इसलिए ही तो सब का कहना है की कभी भी हमे किसी की बात किसी और के सामने नहीं करनी चाहिए. सदा ही अपने से मतलब रखना चाहिए.
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