आज्ञाकारी बेटा हिंदी कहानी, Obedient son hindi kahani

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आज्ञाकारी बेटा हिंदी कहानी : (Obedient son hindi kahani) ये हिंदी कहानी  सोनू नाम के लड़के की है, एक गांव में एक परिवार रहता था परिवार में सिर्फ तीन सदस्य थे एक लड़का और उसके माता, पिता माता पिता दोनों ही उस लड़के को प्यार करते थे क्योंकि वह एक ही लड़का था उनका और वह उसे बहुत ही अच्छा मानते थे, लड़के का नाम सोनू था सोनू बहुत ही आज्ञाकारी लड़का था जो कि अपने माता पिता की बात मानता था.

आज्ञाकारी बेटा हिंदी कहानी : Obedient son hindi kahani

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Hindi kahani, एक दिन अचानक सोनू के माता-पिता बीमार हो गए सोनू बड़ा ही परेशान हुआ कि अब तक तो दोनों माता पिता ठीक थे लेकिन अब अचानक ही पता नहीं कौन सी बीमारी होने लग गई थी एकदम दोनों ही बीमार हो गए अब सारा बोझ सोनू के ऊपर आ गया था सोनू की इतनी उमर नहीं थी कि वह पूरा घर को आसानी से संभाल सके

 

फिर उनके माता पिता ने कहा बेटे अब तो बड़ी परेशानी हो गई है हम दोनों ही अचानक बीमार हो गए हो और तुम्हें अब परेशानी का सामना करना पड़ेगा पता नहीं अब क्या होगा सोनू ने कहा कि आप चिंता ना करें मैं सब कुछ संभाल लूंगा. हिंदी कहानी फिर सोनू के पिता ने कहा कि कुछ दूरी पर एक गांव है वहां पर एक साधु महाराज रहते हैं

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जो कि सभी की समस्याओं को दूर कर सकते हैं और जो बीमार है उसे जो वह ठीक कर सकते हैं अगर तुम वहां तक चले जाओ तो शायद हमारी बीमारी भी ठीक हो जाए और यह घर फिर से खुशहाली से भर जाएगा सोनू ने अपने पिताजी की बात मानी और कहा कि मैं उन साधु महाराज जी से मिलूंगा और इस समस्या का समाधान ढूंढ कर आपके पास आ जाऊंगा

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फिर सोनू अपने पिता की आज्ञा लेकर उस गांव की ओर चल दिया जहां पर एक साधु महाराज जी रहते थे जब साधु महाराज जी के पास सोनू पहुंचा तो सोनू ने देखा कि काफी लोग वहां पर बैठे हुए हैं और अपनी अपनी समस्याएं का समाधान साधु महाराज जी से पूछ रहे थे सोनू थोड़ी देर तक उन्हीं की बातें सुनता रहा और कुछ देर बाद सोनू साधु महाराज जी के पास आया और बोला कि मुझे आपकी सहायता चाहिए. 

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तभी साधु महाराज जी ने पूछा कि क्या समस्या है तुम्हारी,  

फिर सोनू ने सारी बात साधु महाराज जी को बताई और कहा कि

मेरे माता-पिता दोनों ही अचानक बीमार हो गए हैं और मुझे नहीं पता कौन सी ऐसी बीमारी लग गई है

जिससे कि हमें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है

महाराज जी ने पूरी बात सुनी और कहा कि अभी तो तुम छोटे हो

तुम कैसे इस समस्या का समाधान कर सकते हो सोनू ने कहा महाराज जी आप उपाय बता दीजिए और

मैं उस समस्या का समाधान पाना चाहता हूं जिससे कि हमारे परिवार में जो खुशियां ली थी वह चली गई है

उसे वापस लाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं.

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साधु महाराज जी ने उस लड़के की बात सुनी और सोचा कि ठीक है मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूं जिसके पाकर तुम अपने माता-पिता को खुशहाली से ठीक कर दोगे तभी साधु महाराज जी ने कहा कि यह रास्ता बड़ा ही कठिन है यहां से सो डेढ़ सौ मील दूर एक गुफा है जहां पर एक जड़ी बूटी है उस जड़ी बूटी को अगर तुम लाकर अपने माता-पिता को खिलाते हो तो उनकी सारी समस्याएं या जो भी उन्हें बीमारी लगी हुई है

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वह सब कुछ ठीक हो जाएगी लेकिन ध्यान रहे रास्ते में ही तुम्हें बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा क्या तुम यह सब कर सकते हो तभी सोनू ने जवाब दिया कि हां महाराज मैं अपने माता पिता को ठीक करने के लिए किसी भी समस्याओं से लड़ सकता हूं साधु महाराज जी ने कहा कि मैं तुम्हें एक ऐसा ताबीज देता हूं जिसकी सहायता से तुम में बहुत सारी शक्ति आ जाएंगी क्योंकि वहां पर पहुंचने के लिए तुम्हें अंदर से और बाहर ही तौर पर दोनों सही वजह से मजबूत होना चाहिए

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तभी तुम उस गुफा तक पहुंच सकते हो यह ताबीज तुम्हें हर शक्तियां प्रदान करेगा

जिस चीज की शक्ति तुम चाहते हो वह ताबीज तुम्हें यह दे देगा

अगर तुम किसी शेर के बारे में सोचते हो तो तुम्हारे अंदर शेर की ताकत आ जाएगी अगर तुम्हारे पक्षी के बारे में सोचते हो किसी तो वह पक्षी के उड़ने वाली शक्ति तुम में आ जाएगा इस तरह तुम सारी शक्तियां लेकर उस गुफा तक पहुंचोगे तभी तुम उस गुफा से वह जड़ीबूटी ला सकते हो महाराज की बात सुनकर सोनू अपने घर चला गया और अपने माता-पिता से मिलने के बाद.

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उसने कहा कि पिता जी मैं आपकी इस समस्याओं का समाधान लेने के लिए जा रहा हूं कुछ समय लगेगा मुझे लेकिन मैं जल्द ही लौट आऊंगा और फिर माता-पिता का दोनों का आशीर्वाद लेकर सोनू उस गुफा की ओर चल दिया जब सोनू जंगल से गुजर रहा था तो उसने एक शेर को देखा और सोचा कि शेर जैसी ताकत भी मुझ में होनी चाहिए तो तभी ताबीज के आगे मंत्र पढ़कर शेर को जैसे ही ध्यान में रखा

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तो शेर जैसी ताकत सोनू के अंदर आ गई फिर कुछ दूरी पर जाने पर सोनू के सामने एक नदी बड़ी नदी को पार करना लगभग असंभव था क्योंकि वहां पर कोई भी पुल नहीं था तब सोनू ने सोचा कि अगर मैं उड़ सकता तो इससे बड़ी आसानी से पार कर सकता था उड़ते हुए पक्षी को ध्यान में रखकर सोनू ने ताबीज को हाथ में रखकर जैसे मंत्र पढ़ा तो उसके अंदर पक्षी के उड़ने की ताकत आ गई और वह पक्षी की तरह उड़कर उसने नदी पार कर ली

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जब सोनू ने नदी पार कर ली तो अब उन सोनू ने देखा कि अभी तक तो मैंने सिर्फ 50 मील पार किया है और अभी भी सो मील बचा हुआ है यह सो मील तो काफी दूरी का है और मैं इसे कैसे पार करूं तभी सोनू ने ताबीज निकाला और मंत्र पढ़ा तो उसके अंदर खरगोश और हिरण की भी शक्तिया गई और जैसे ही शक्ति सोनू के अंदर आई तो  तेजी से भागने लगा सोनू रुका तो अब लक्ष्य ज्यादा दूर नहीं था

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थोड़ी दूरी पर ही वह पहुंच गया था अब ज्यादा दूरी नहीं बची थी

तभी सोनू ने अपने सामने बहुत सारे सांपों का ढेर देखा

वह साँप वहीं पर ही रास्ते पर जमे हुए थे सोनू को बड़ा डर लग रहा था कि

अब इसको कैसे पार किया जाए तभी सोनू ने अपने मन

में नेवले की शक्ति को ध्यान में रखकर मंत्र पढ़ा

तो सोनू के अंदर नेवले की शक्ति आ गई और वह सांपों से लड़कर आगे चलने लगा

तभी सोनू को वह गुफा दिखाई दी जिसमें वह जड़ी-बूटी थी

फिर सोनू ने वह जड़ी-बूटी अपने हाथ में ली और सोचा कि अब मेरा लक्ष्य पूरा हो गया है

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hindi kahani, मुझे जड़ी-बूटी मिल गई है अब मैं अपने माता-पिता का इलाज बड़े आराम से कर सकता हूं फिर सोनू वहां से जड़ी-बूटी लेकर अपने घर की ओर चल दिया और फिर सोनू ने जैसे ही जड़ी-बूटी अपने माता पिता को खिलाई हूं सब ठीक हो गए.

 

तीनों साधु महाराज जी से आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास चले गए और साधु महाराज जी को धंयवाद दिया और अपने घर वापस आ गए. अगर हम भी माता पिता की आज्ञा मानते है तो हम भी जीवन में बहुत आगे तक जा सकते है, आज्ञाकारी बेटा हिंदी कहानी, (Obedient son hindi kahani) अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे और कमेंट करके हमे भी बताये.

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