Essay on holi in hindi
Essay on holi in hindi, essay on holi, होली का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, होली इंडिया के फेस्टिवलों में से एक है जिसका इंतज़ार हर साल किया जाता है, होली का त्यौहार लोगो को बहुत ही पसंद आता है,
होली का त्योहार कैसे मनाया जाता है :- Essay on holi in hindi
ऐसा त्योहार में सभी घरो में मीठे पकवान और नमकीन पकवान बनाये जाते है, और सभी लोग अपने पुराने सगे सम्भन्धी से मिलने जाते है, ये एक इस त्योहार जिसमे सभी लोग अपने पुराने झगड़ो को भूल कर एक साथ ऐसा त्योहार को मनाते है,
त्योहार का आनंद :-
ये रंगों का त्यौहार है जिसमे सभी रंगों का प्रयोग किया जाता है,
सभी लोग एक दूसरे को रंग लगते है, कुछ लोग तो इस त्योहार में इतना डूब जाते है, की
उन्हें समय का भी ध्यान ही नहीं रहता, बस सभी को आनंद देने वाला त्योहार होता है,
ऐसा त्योहार का पूरा आनंद लेने के लिए उस दिन सभी से मिलो और
सभी को एहसास दिलो की आप सभी को याद करते हो, और
जिसको पहले कभी आपने समय नहीं दे पाए हो
उसको समय जरूर दो ताकि लगे की आप उन सभी की परवाह करते है,
होली से जुडी ये कहानी है की जब हिरण्यकश्यप ने घोर तपस्या करके एक वरदान पाया था की कोई भी व्यक्ति, भगवन उसे मार नहीं सकता था, दिन हो या रात , आकाश हो या धरती किसी भी स्थान पर हो वो ऐसा वरदान से कही भी नहीं मर सकता था, तभी उसके यहाँ पर एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम प्रलाह्द था, परह्लाद को भगवन पर बहुत भरोसा था,
प्रजा से अपनी पूजा करवाते थे :-
उधर उसके पिता प्रजा से अपनी पूजा करवाते थे और खुद को ही भगवन समझते थे, और लोगो पर अत्याचार करते थे जबरदस्ती खुद को भगवान् मनवाते थे, पर प्रह्लाद भगवन को ही मानते थे और अपनी पिता को नहीं पूजते थे, एक दिन हिरण्यकसप ने आदेश दिया की अगर उसका पुत्र उसकी पूजा नहीं करेगा तो उसे मार दिया जाए,
प्रह्लाद को अपने पिता की ये बात अछि नहीं लगी और बागवान की स्तुति करने लगे ऐसा पर उनके पिता को क्रोध आया और कहा की ऐसे ले जाकर मार दो, पर भगवान् का आशीर्वाद प्रह्लाद पर बना रहा और वो फिर बच गए अनेको बार उन्हें मारने की कोशिः की गयी पर हर बार प्रह्लाद बच गए.
होली का त्योहार :-
फिर उनके पिता ने अपनी बहिन को आदेश दिया की प्रह्लाद को आग में जल कर मर डालो और फिर प्रह्लाद को होलिका ने उठाया और आग में बैठ गयी होलिका के पास वरदान की चादर थी उसे लेकर ही होलिका आग में बैठी थी किसी कारण वश चादर उड़ाकर परह्लाद पर आ गिरी और होलिका वही जल गयी तभी से होली का त्योहार मनाया जाता है, इस देखा कर उसके पिता को बहुत ही गुस्सा आया और फिर भगवन विष्णु ने अवतार लेकर परह्लाद के जरिये हिरण्यकश्यप को मार डाला,
essay on holi in hindi, essay on holi, तभी से होली का त्यौहार लोग मनाते आ रहे, आपको होली से जुडी जानकारी कैसी लगी हमे भी जरूर बताये और अगर आप होली से जुडी अन्य जानकारी चाहते है तो आप हमे लिख सकते है और अगर आप भी कोई भी जानकरी हमारे साथ शेयर करना चाहते है तो आप हमे भजे सकते है आपने हमारी जानकारी पढ़ी इसके लिए आपका धन्यवाद.
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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति … शानदार पोस्ट …. Nice article with awesome depiction!! 🙂 🙂
thanks