Ganesh ji ki kahani | Ganesh story hindi
गणेश जी की कहानी, ganesh ji ki kahani, आज मैं आपको धार्मिक बात के बारे मैं बताने जा रहा हु, जिसको जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी है, ताकि आप भी श्री गणेश जी के बारे में कुछ बाते जाना सके, और उनकी महिमा को भी जान पाए. चलते है हम अपनी कहानी गाथा की और, जो की इस प्रकार है. आज मैं आपको भगवन श्री Ganesh जी से रूबरू कराओगे. Because सभी कामो को करने से पहले , भगवन श्री गणेश जी का नाम ही लेना चाहिए .
गणेश जी की कहानी : Ganesh ji ki kahani
अब हम Ganesh जी की बात को बताते है. एक नगर मैं कोस्था नामका एक राक्षस था. उसके पास बहुत बडी सेना थी. कोई भी उसे पराजित नहीं कर पाता था. वह देवी देवताओं को बहुत कष्ट देता था. वह ऋषि मुनियों के यज्ञ तप में निरंतर बाधा डालता रहता था. उससे त्रस्त हो देवता तथा ऋषि मुनियोंने उसका वध करने का निर्णय लिया. परंतु ऐसे शक्तिशाली असुरको मारेगा कौन . यह प्रश्न सबके सामने उत्पन्न हुआ. तब पथारथ ऋषि Ganesh जी के पास गए. उन्होंने गणेश जी से कोस्था का वध करने की विनती की.
Ganesh जी चूहे पर सवार हुए और अपनी सेना लेकर युद्धके लिए निकल पडे. कोस्था के पहरे दारों ने दूर से देखा कि Ganesh जी आ रहे हैं. उन्होंने यह कोस्था को बताया. कोस्था को उसके साथ कोई युद्ध करने आ रहा है, यह सुनकर बडा आश्चर्य हुआ. गणेश जी जैसा छोटा सा बालक मुझ से युद्ध करेगा, यह सोचकर उसे हंसी आ गई. इतने में गणेश जी उसके सामने आकर खडे हो गए. उन्होंने कोस्था को युद्ध के लिए ललकारा. कोस्था गणेश जी को पकडकर मसलने वाला ही था कि इतने में गणेश जी ने अपना चमत्कार दिखाया.
उनका रूप राक्षस से 3 गुना हो गया.गणेश जी ने उसे उठाया और मारना प्रारंभ किया. राक्षस रक्तरंजित हो गया. यह देखते ही कोस्था की सेना वहां से भाग खडी हुई. कोस्था के लाल रक्तसे Ganesh जी की देह भींग गई. वह लाल, सिंदूरी दिख रही थी. अंत में कोस्था मृत्यु को प्राप्त हुआ तथा गणेश जी का क्रोध शांत हो गया. शक्तिशाली को स्थापर बाल गणेश जीने विजय प्राप्त की, यह देखकर सभी देवताओं ने गणेश जी की जय जय कार की.
वही दूसरी और एक राक्षस था जिसका नाम भस्मासुर नामका दुष्ट राक्षस था. वह भी कोस्था जैसे सभीको कष्ट देता था. भस्मासुर मुंह से आग उगलता था. उसकी दृष्टिके सामने जोभी आता था, उसे वह जला डालता था. उसके नेत्रोंसे अग्निकी ज्वाला निकलती थी. मुखसे वह अत्यधिक धुआं निकालता था. सभीको उससे बहुत भय लगता था. भस्मासुर ने ऐसे अनेक जंगल जला डाले थे. वह खेत की फसल, पशु-पक्षी,मनुष्य सबको जलाकर राख कर देता था. अनेक राक्षसों को Ganesh जीने मार डाला है,यह भस्मासुरको ज्ञात था. उसे Ganesh जी से प्रतिशोध लेना था. गणेश जीका वध करनाथा. इसलिए वह उनको खोजता फिरता था; परंतु गणेश जी उसके हाथ नहीं लगते थे.
एक दिन Ganesh जीने अपना छोटे रूपको परिवर्तित कर दिया. वह भस्मासुर से तिगुना उंचे हो गए. यह देखते ही राक्षस भयभीत हो गया. श्री गणेश जी ने उस राक्षस को हाथ में उठाया और खा लिया. इससे गणेश जी का शरीर अत्यधिक जलने लगा. इस जलन को अल्प करनेके लिए सभी देवताओं ने एवं ऋषि मुनियोंने उनको दूब अर्पण की. दूबसे जलन मिट गई और गणेश जी की जलन शांत हो गई.
Ganesh ji ki kahani | Ganesh story hindi
आगे चलकर गणेश जी ने विघ्नासुर नामके राक्षस का भी वध किया. इसलिए उन्हें विघ्नेश्वर कहा जाता है. बच्चों, Ganesh जी विद्याके देवता हैं. अध्ययन प्रारंभ करने से पूर्व हमें उनका स्मरण करना चाहिए. इससे पढाई में होने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं तथा पढाई में सहायता मिलती रहेगी. तो दोस्तों इसलिए ही कहा जाता है की श्री गणेश जी की महिमा को कोई भी नहीं जान पता है.
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