बुद्धिमान व्यक्ति की कहानी, ek kahani

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Ek kahani | Hindi story | Story in hindi

ek kahani, hindi story, story in hindi, एक नगर में एक व्यक्ति रहता था वह बहुत ही ज्ञानी था लेकिन उसे हमेशा यह रहता था कि मुझे पता नहीं कितना ज्ञान है और कितना नहीं और अपने ज्ञान को जांचने के लिए वह कभी साधु महाराज जी के पास जाता कभी पंडितों के पास जाता और इस प्रकार अपने ज्ञान को वह जांचता ही रहता था

बुद्धिमान व्यक्ति की कहानी : Ek kahani

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1 दिन उसी नगर में एक है “साधु” महाराज आए और उन महाराज के बारे में उसने लोगों से सुना लोगों ने कहा है कि यह महा महाराज तो बहुत ही ज्ञानी है बहुत कुछ जानते हैं ऐसा सुनकर वह व्यक्ति सोचने लगा कि मुझे भी अपना ज्ञान जांचने के लिए इन महाराज के पास जाना पड़ेगा तभी मुझे पता लगेगा कि मुझे कितना ज्ञान है फिर वह व्यक्ति महाराज के पास गया और बोला महाराज मुझे यह बताओ कि मेरा ज्ञान कितना है पहले तुम बताओ कि तुम्हारा कहने का क्या मतलब है साधु महाराज जी ने पूछा, फिर उस व्यक्ति ने कहा कि मैं यह नहीं जानता कि मैं कितना ज्ञानी हूं Because मैं हर एक से पूछता रहता हूं

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कि मुझ में कितना ज्ञान है लेकिन मैं बिल्कुल भी समझ नहीं पा रहा हूं कि मेरे अंदर कितना ज्ञान है तभी साधु महाराज समझ गए कि तुम अपने ज्ञान के बारे में जानना चाहते हो तभी व्यक्ति बोला हां महाराज कृपया करके मुझे मेरे ज्ञान के बारे में बता दीजिए तभी साधु महाराज जी ने सबसे पहला यह सवाल किया कि बताओ अगर कोई व्यक्ति चोरी करता है तो वह व्यक्ति बुरा है या नहीं  तब उस व्यक्ति ने कहा कि जी महाराज बुरा आदमी है Because वह चोरी करता है फिर साधु महाराज जी ने दूसरा सवाल पूछा कि अगर कोई तुम्हें झूठ बताकर तुम्हारी कोई वस्तु ले ले तो यह कार्य गलत है या नहीं,  तभी व्यक्ति ने जवाब दिया कि हमारा यह कार्य गलत है इस तरह साधु महाराज ने बहुत सारे सवाल व्यक्ति से पूछे और वह सब का जवाब देता चला गया

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Ek kahani, hindi story, story in hindi, तब साधु महाराज ने कहा कि तुम तो ज्ञानी हो तुम्हें सभी चीजों का ज्ञान है but तुम अपने ज्ञान पर विश्वास नहीं करते हो इसलिए अपने ज्ञान पर विश्वास रखोगे तो तुम्हें किसी भी बात की कोई चिंता नहीं होगी और इस प्रकार व्यक्ति जान पाया कि वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है.

 

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वह सोचता हुआ जा रहा था उसके साथ कोई भी नहीं था but वह जानता था की अगर उसके साथ कोई होता तो यह सफर पूरा हो सकता था वह अपने गांव से निकला था किसी काम की तलाश में, but अभी तक कोई भी काम नहीं मिल पाया था अब उसके पास जमीन भी नहीं थी, but वह मेहनत कर सकता था शायद यही कारण था की वह काम की तलाश कर रहा था

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उसे एक काम भी मिल जाता है वह उसे करता है उसे पता है की अगर वह काम नहीं करेगा तो कौन करेगा घर पर वह किसी को भी परेशान नहीं करना चाहता था इसलिए वह काम को करता है वह बहुत मेहनत का काम था but वह पीछे नहीं हट सकता है वह काम को जरूर पूरा करेगा जिससे वह अपने घर पर धन को भेज सकता था उसके बाद उसके परिवार को चिंता नहीं होती, वह कुछ दिन तक काम करता है उसके बाद जो भी धनं बचता है उसे घर ले जाता है

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इस तरह वह अपने काम को पूरा करता है जीवन में आयी परेशानी से वह डरता नहीं है बल्कि उसका सामना करना था जिससे वह उसे पूरा कर पाए हमे भी उसी की तरह अपने जीवन की परेशानी को दूर करना चाहिए भले ही समस्या को दूर नहीं कर सकते है but हम उसकी कोशिश तो कर सकते है अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो शेयर करे.

दो मुर्ख की हिंदी कहानी :- Ek kahani

दो मुर्ख घूमते हुए जंगल के पास आ गए थे यह ठंड का मौसम था, उन्हें बहुत ठंड लग रही थी, मगर जंगल में कुछ नज़र नहीं आ रहा था, पहला मुर्ख कहता है, हमे आग जलानी चाहिए, दूसरा मुर्ख कहता है, वह तो ठीक है मगर हम आग कैसे जला सकते है, पहला मुर्ख कहता है, कुछ दुरी पर बहुत सुखी घास पड़ी है, में लेकर आता है, पहला मुर्ख घास को लेने जाता है, वह कुछ देर बाद ही घास लेकर आ गया था,

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दूसरा मुर्ख कहता है, घास तो आ गयी है, मगर आग कहा से मिलेगी क्योकि बिना आग के तो हम दोनों को बहुत ठंड लग सकती है, कुछ देर बाद सोचने पर भी कोई उपाय नहीं आ रहा था, जिस जगह पर वह दोनों बैठे हुए थे उसी जगह पर एक पेड़ था, उस पर एक कौवा बैठा था, वह सब कुछ देख रहा था, दूसरा मुर्ख कहता है, की देखो जुगनू उड़ रहा है, वह चमक रहा है, उसके पास आग है हमे उसे पकड़ना चाहिए, उसके बाद हम इस सुखी घास में आग लगा सकते है, दूसरा मुर्ख उस जुगनू को पकड़ने जाता है, कुछ समय बाद ही वह उसे लेकर आता है,

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वह कौवा उन दोनों मुर्ख से कहता है, इस जुगनू से आग नहीं जल सकती है, आप दोनों यह गलत सोच रहे है, पहला मुर्ख कहता है, तुम्हे चुप रहना चाहिए क्योकि तुम्हारा यह काम नहीं है, हम इस काम को कर सकते है, वह उस जुगनू को सुखी घास में अंदर रख देते है, उसके बाद सोचते है की यह आग क्यों नहीं जल रही है, वह कौवा फिर से बोलता है, की मेने कहा था की आग नहीं जलने वाली है, यह सुनकर दुसरा मुर्ख उस कौवा से कहता है, की अब तुम बचने वाले नहीं हो वह उस कौवा को पकड़ लेता है,

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Ek kahani, hindi story, story in hindi, उसके बाद वह कौवा को मार देता है, क्योकि वह दोनों मुर्ख आग नहीं जला पाते है, उन्हें बहुत गुस्सा आता है, यह कहानी हमे एक बात कहती है, की हमे उसी को सीख देनी चाहिए जो उसे समझने की समझ रख सकता है, अगर आपको यह सभी कहानी पसंद आयी है तो शेयर करे

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