गुरसल और बंदरो की कहानी, bandar ki kahani

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Bandar ki kahani

Bandar ki kahani, गांव मैं एक बहुत ही बड़ा नीम का पेड़ था, जिस पर एक बहुत ही खूबसूरत गुरसल का घोसला था. एक दिन बहुत तेज़ कडाके की ठंड पड रही थी. ठंड से कांपते हुए कुछ बंदरों ने उसी पेड के नीचे आश्रय लिया. एक बंदर बोला कहीं से आग तापने को मिले तो ठंड दूर हो सकती हैं. दूसरे बंदर ने सुझाया देखो, यहां कितनी सूखी पत्तियां गिरी पडी हैं.

गुरसल और बंदरो की कहानी :- Bandar ki kahani

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सूखी पत्तियों का ढेर :-

इन्हें इकट्ठा कर हम ढेर लगाते हैं और फिर उसे सुलगाने का उपाय सोचते हैं. बंदरों ने सूखी पत्तियों का ढेर बनाया और फिर बैठकर सोचने लगे कि ढेर को कैसे सुलगाया जाए. तभी एक बंदर की नजर दूर हवा में उडते जुगनू पर पडी और वह उछल पडा. उधर ही दौडता हुआ चिल्लाने लगा देखो, हवा में चिंगारी उड रही है. इसे पकडकर ढेर के नीचे रखकर फूंक मारने से आग सुलग जाएगी. हां हां कहते हुए बाकी बंदर भी उधर दौडने लगे.

 

पेड पर अपने घोंसले में बैठी गुरसल यह सब देख रही थे. उससे चुप नहीं रहा गया. वह बोली बंदर भाइयो, यह चिंगारी नहीं हैं यह तो जुगनू है. एक बंदर क्रोध से गुरसल की देखकर गुर्राया मूर्ख चिडिया, चुपचाप घोंसले में दुबकी रह. हमें सिखाने चली है. इस बीच एक बंदर उछलकर जुगनू को अपनी हथेलियों के बीच कटोरा बनाकर कैद करने में सफल हो गया.

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बंदरों ने गुरसल को घूरा :-

जुगनू को ढेर के नीचे रख दिया गया और सारे बंदर लगे चारों ओर से ढेर में फूंक मारने. गुरसल ने सलाह दी भाइयो आप लोग ग़लती कर रहे हैं. जुगनू से आग नहीं सुलगेगी. दो पत्थरों को टकराकर उससे चिंगारी पैदा करके आग सुलगाइए. बंदरों ने गुरसल को घूरा. आग नहीं सुलगी तो गुरसल फिर बोल उठी भाइयो आप मेरी सलाह मानिए, कम से कम दो सूखी लकडियों को आपस में रगडकर देखिए.

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bandar ki kahani, सारे बंदर आग न सुलगा पाने के कारण खीजे हुए थे. एक बंदर क्रोध से भरकर आगे बढा और उसने गुरसल पकडकर ज़ोर से पेड के तने पर मारा. गुरसल फडफडाती हुई नीचे गिरी और मर गई. इस कहानी से हमे यही सिख मिलती है दोस्तों की कभी भी हमे किसे के बीच मैं नहीं पड़ना चहिये. हमे सदा ही अपने काम से मतलब रखना चाहिए.

काला बन्दर और शेर की कहानी :- kala bandar ki kahani 

वह काला बन्दर शेर से दोस्ती करना चाहता था मगर यह आसान नहीं था क्योकि शेर काला बन्दर से दोस्ती क्यों करेगा मगर वह काला बन्दर विचार कर रहा था उसे लग रहा था की अगर शेर मुझसे दोस्ती कर ले तो बहुत अच्छा होगा काला बन्दर शेर के पास जाता है शेर एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था

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कुछ समय बाद ही काला बन्दर आता है वह शेर से कहता है की आप जंगल के राजा है मुझे अच्छ नहीं लगता है की आप शिकार पर जाए मगर आपको वह शिकार को खोजने में परेशानी का सामना करना पड़े यह सुनकर शेर कहता है की आज तुम मेरे लिए शिकार लाये हो काला बन्दर कहता है की अगर आप मुझसे दोस्ती कर लेते है तो में यह भी कर सकता हु शेर कहता है की अगर दोस्ती हो जाती है तो मुझे शिकार मिल जाएगा

क्योकि बंदर बता देता था :-

यह बात सही है शेर को भी लग रहा था अगर काला बन्दर कहता है की

मुझे शिकार मिल सकता है तो कोई समस्या नहीं है इसलिए मुझे दोस्ती करनी चाहिए

दोनों की दोस्ती हो जाती है अगले दिन काला बन्दर शेर के लिए भोजन की व्यवस्था करता है

वह शेर को बता देता है की शिकार कहा है उसके बाद शिकार मिल जाता है.

शेर का काम आसान हो गया था क्योकि बंदर बता देता था

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लेकिन काला बन्दर को कोई भी फायदा नहीं था वह सोच रहा था की शेर मेरा दोस्त बन गया है

मगर मुझे तो कोई फायदा नहीं हो रहा है वह शेर के पास जाता है उसके बाद कहता है की

आपको मेरे साथ में चलना होगा सभी जानवर जब आपको मेरे साथ में देखते है

तो उन्हें भी पता चल जायेगा वह मुझसे डरने लगेंगे,

यह सुनकर शेर समझ जाता है की वह उसका फायदा उठाना चाहता है शेर मना कर देता है.

फायदे के लिए दोस्ती :-

अब काला बन्दर बहुत गुस्सा हो जाता है दो दिन के बाद वह काला बन्दर कहता है की शिकार आ गया है आप शिकार कर सकते है मगर जब शेर उस जगह पर जाता है तो बहुत अधिक भेड़िये होते है वह शेर को घेर लेते है उस पर हमला करते है शेर घायल हो जाता है यह सब कुछ उस काला बन्दर ने किया था. शेर को समझ आता है जब हमे कोई फायदा देता है तो उसे भी फायदा चाहिए होता है इसलिए कभी भी फायदे के लिए दोस्ती नहीं करनी चाहिए.

 

भूखा बंदर हिंदी कहानी :- monkey ki kahani

“बंदर” को बहुत भूख लगी थी, वह सोच रहा था, अगर आज उसे खाना नहीं मिल पाया,

वह क्या करेगा, इसलिए वह “बंदर” खाने की तलाश में घूम रहा था,

उसे अभी तक कुछ नही मिला था, जिस जगह भी वह जाता, कुछ भी नज़र नहीं आता,

किसी भी पेड़ पर फल नज़र नहीं आ रहे थे, इसलिए वह भूखा “बंदर” सोच रहा था,

आज उसे खाने के लिए किसी से भी दोस्ती करनी पड़ी, वह पीछे नहीं हटेगा,

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कुछ समय बाद वह लोमड़ी को देखता है, वह “बंदर” कहता है, अगर में तुम्हारे काम आ सकू, मुझे कोई भी काम बता सकती हो, वह लोमड़ी कहती है, तुम ऐसा क्यों कह रहे हो, वह भूखा “बंदर” कहता है, आज मुझे बहुत भूख लगी है, मुझे वह पेड़ भी नज़र नहीं आ रहा है, जिस पेड़ पर फल लगे, मुझे आज खाना नहीं मिल पाया है,

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यहां पर कोई शिकार है :-

लोमड़ी कहती है, मुझे पता है, किस पेड़ पर फल लगे है, But तुम्हे उससे पहले मेरा एक काम करना है, वह “बंदर” कहता है, ठीक है, तुम कह सकती हो, वह लोमड़ी कहती है, मुझे देखकर बता सकते हो, यहां पर कोई शिकार है, Because मुझे भी शिकार करना है, वह भूखा “बंदर” पेड़ पर चढ़ जाता है, वह देखता है,

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कुछ दुरी पर शिकार है, वह लोमड़ी को बता देता है, उसके बाद लोमड़ी कहती है, यहां से कुछ दुरी पर एक जामुन का पेड़ है, तुम उस जगह पर जा सकते हो, तुम्हे खाना मिल जायेगा, वह “बंदर” खुश हो जाता है, उसके बाद वह भूखा “बंदर” उस पेड़ की तलाश में जाता है, जब वह पहुँच जाता है, उस जगह पर बहुत से बंदर बैठे थे,

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कहानी का मोरल :-

वह कहते है हम सभी को लोमड़ी ने ही यहां पर भेजा है, उसे तो शिकार मिल गया, But हमे भोजन नहीं मिल पाया है, वह लोमड़ी बहुत तेज है, अपना काम करके वह चली जाती है, वह बंदर को बेवकूफ बना रही थी, यह कहानी हमे सिखाती है, हमे किसी की बातो में नहीं आना चाहिए, अगर आपको यह bandar ki kahani पसंद आयी है, शेयर करे,

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