Tulsidas in hindi | तुलसीदास जी का जीवन परिचय
तुलसीदास जी का जीवन परिचय, tulsidas in hindi, तुलसीदास जी के बारे में अभी तक बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है तुलसी जी का अधिकतर समय वाराणसी में ही बीता है गंगा नदी के किनारे जो घाट है वह तुलसीदास जी के ही नाम पर उसका नाम रखा गया है.
Tulsidas in hindi, तुलसीदास जी का जीवन परिचय
Tulsidas in hindi, वाराणसी में ही तुलसीदास जी ने संकटमोचन मंदिर का निर्माण करवाया था लोगों का मानना है कि तुलसीदास जी हनुमान जी की वहां पर पूजा करते थे और वहीं पर भगवान जी के दर्शन भी तुलसीदास जी को हुए थे तुलसीदास जी ने ही रामलीलाओं में होने वाले नाटकों का वर्णन किया था जिस पर आधारित नाटक की शुरुआत हुई, “tulsidas in hindi”
बहुत से लोगों का मानना है कि तुलसीदास जी का वाल्मीकि मैं पुर्न जन्म हुआ था तुलसीदास जी हनुमान चालीसा का रचना की जिसके आधार पर लोगों ने उन्ही को रचनाकार भी कहा और हनुमान जी के भक्ति गीत भी तुलसीदास जी ने ही गाए, तुलसीदास जी का जीवन का अर्थ 1583 से 1639 के बीच माना गया है तुलसीदास एक महान कवि थे जिन्होंने कला संस्कृति और भारतीय समाज में उनके बहुत सारे रचनाये पर देखने को मिलते हैं उन्होंने अनेक भाषाओं में रामलीला के नाटक आदि का वर्णन किया है
तुलसीदास की रचनाएं बहुत ही प्रसिद्ध हैं जिनको आज सभी लोग जानते हैं तुलसीदास की कुछ प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, तुलसी सतसई, हनुमान आदि. तुलसीदास बहुत ही प्रसिद्ध कवि थे आज भी लोगों के मन में उनका प्रति सम्मान है उन जैसे कभी आगे कवी नहीं हो पाएंगे तुलसीदास जी के कुछ प्रमुख संग्रह है जैसे कि रामचरित्रमानस, कवितावली, दोहावली अभिनयावली, विनयपत्रिका, गीतावली, रामाज्ञा, अधिक प्रमुख संग्रह है
तुलसीदास जी की कुछ प्रसिद्ध रचनाएं प्रकार हैं हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बाहुक, राम लला तुलसीदास के दोहे श्री रामायण जी की आरती अभी तुम तुलसीदास जी की अन्य रचनाएं लाज न आवत, दास कहावत मैं हरी, माधव, जो मन लागे भजन मन आदि, तुलसीदास जी अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे एक बार क्या हुआ कि तुलसीदास जी को बगैर बताए उनकी पत्नी अपने घर पर चले गए उधर तुलसीदास जी जैसी घर पर पहुंचे तो अपनी पत्नी को वहां पर नहीं पाया और उन्हें ढूंढते हुए उनके घर पर चले गए
इस व्यवहार को उनकी पत्नी को अच्छा नहीं लगा और उन्होंने कहा कि यह आपने क्या किया और तुलसीदास जी को इस बात को को सुनकर बहुत दुख हुआ और उन्होंने तभी से अपनी पत्नी को त्याग दिया और प्रयाग चले गए, वहीं पर उन्हें आश्रम बनाकर रहने लगे, कह सकते हैं कि उन्होंने घ्रस्त आश्रम छोड़ दिया और अपना एक जीवन साधू के रूप में दिखाने लगे लोगों का मानना है कि तुलसीदास जी ने हनुमान जी के साक्षात दर्शन किए थे
वह कहते थे कि हनुमान जी के तुलसीदास जी बहुत बड़े भक्त है और इस भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए और चित्रकूट जाने की सलाह दी क्योंकि तुलसीदास जी चाहते थे कि वे श्री राम जी से मुलाकात करें ऐसी बात सुनकर हनुमान जी बोले कि तुम्हें चित्रकूट जाना चाहिए चित्रकूट में जाकर ही श्री राम जी की आप दर्शन कर पाएंगे
tulsidas in hindi, हनुमान जी की बात मानकर तुलसीदास जी चित्रकूट चले गए वहां पर उन्हें श्री राम जी के दर्शन हुए और उनका जीवन सफल हो गया इसका वर्णन तुलसीदास जी ने अपने गीतावली में किया है कि श्री राम जी से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने उनके माथे पर चंदन का तिलक लगाया, लोगों का मानना है कि जब तुलसीदास जी भगवान शिव ने कहा कि आप अपनी सारी कविताएं संस्कृत भाषा की बजाय मातृभाषा में लिखें तुलसीदास जी की मृत्यु 1623 में गंगा नदी के किनारे पर हुई थी
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Tulsi Das ki jeevani padh kr mja aa gya. Sath hi knowledge me bahut ijafa hua. Thanks for sharing.
Thanks Jamshed Azmi ji