Mandir ki kahani
एक मंदिर की कहानी, mandir ki kahani, वह अभी मंदिर आया ही था की उसने देखा की एक छोटा बच्चा मंदिर की सीढ़ी पर बैठा था जबकि यह कोई बड़ी बात नहीं थी मगर न जाने क्यों ऐसा लग रहा था की उस छोटे बच्चे में कुछ बात है,
एक मंदिर की नई हिंदी कहानी :- Mandir ki kahani
यह बात कोई भी हो सकती है उसे देखते हुए वह मंदिर के अंदर चला जाता है उसके बड़ा पूजा करता है, जब वह पूजा कर लेता है तो सभी को प्रसाद भी देता है वह सभी को प्रसाद देता हुआ मंदिर की सीढ़ी से नीचे आता है और उस छोटे बच्चे को देखा था वह अभी भी वही पर था उस आदमी ने उसे प्रसाद दिया और वह प्रसाद लेकर अचानक ही चला गया था
आज ही सोचिये
वह किस जगह पर गया था यह बात पता नहीं थी मगर उस आदमी को कुछ अजीब लग रहा था फिर भी उसने ध्यान नहीं दिया था उसके बाद वह घर आ गया था जब वह घर पर आया तो उसने अपनी पत्नी से बात की थी उसने कहा था की आज मेने एक छोटे बच्चे को देखा था वह मंदिर के पास ही था पत्नी ने पूछा की वह कौन था क्योकि हम किसी को भी जानते नहीं है
वह आदमी कहने लगा की में भी उसे नहीं जानता हु मगर आज उसे देखकर कुछ अजीब लग रहा था ऐसा लगता था की अगर वह हमारा बेटा होता तो इतना भी बड़ा होता मगर हमारे पास कुछ भी नहीं है, शायद हमारे जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला है हम ऐसे ही अपना जीवन बिता देंगे और हमेशा दुखी होते रहेंगे ऐसा कब तक चलेगा यह बात सुनकर पत्नी भी दुखी हो जाती है
एक सच्चे भक्त की कहानी
क्योकि उसके पास कोई जवाब नहीं था वह समझती है की अब कुछ भी अच्छा नहीं होगा वह अपने पति से कहती है की अगर हम किसी बच्चे को अपने साथ रखते है तो आप इस बात को नहीं मानते है जबकि मेने बहुत बार कहा है की हमे किसी को अपने साथ में रख लेना चाहिए मगर ऐसा तुम करना नहीं चाहते हो बहुत बारे पूछा है मगर कभी भी तुमने इस बात का जवाब नहीं दिया है
आज तुम्हे बताना होगा की तुम ऐसा क्यो नहीं करना चाहते हो, क्या बात है जो तुम छुपा रहे हो वह कहते है की ऐसी कोई भी बात नहीं है जिसके बारे में में तुम्हे कुछ बताना नहीं चाहता हु मगर तुम कुछ समझना नहीं चाहती हो, ऐसी कोई बात नहीं है आज में तुम्हे बताता हु की में ऐसा क्यों नहीं करना चाहता हु
हमेशा खुश रहे
उसका पति कहता है की अगर हम किसी को लेकर आते है तो कुछ दिन बाद अगर उसके माता पिता आते है तो वह उसे ले जाते है तो कितना बुरा लगता है ऐसा करने से हमे भी दुःख होगा इसलिए में इस काम को करना नहीं चाहता हु यही बात तुम्हे समझ नहीं आती है अब पत्नी भी समझ जाती है की उसका पति सही कहता है यही बात पति कहता है उसके बाद पत्नी कहती है की ठीक है
अब से ऐसा नहीं होगा में तुमसे इस बारे में कुछ भी नहीं कहती हु, क्योकि वह समझ गयी थी यह दुःख कम नहीं होगा जब वह बड़ा होकर चला जाएगा तो हमसे वह दुःख सहन नहीं होगा यही डर पति को था यही बात पत्नी को भी कहता है दोनों उस वक़्त बहुत दुखी होंगे यह बात वह समझ गयी थी अब इस बारे में कोई भी बात नहीं कर रहा था पति कहता है की आज मेने मंदिर में उस लड़के को देखा था जिसे देखकर मुझे अच्छा लग रहा था कल तुम भी उसे देखने जाना पत्नी कहती है की जब हम उसे ला नहीं सकते है तो हमे मिलने नहीं जाना चाहिए मगर पति कहता है की उसमे कुछ बात अलग भी है
जीवन की बातें
सुबह हो चुकी थी दोनों अब मंदिर जाने को तैयार थे क्योकि कल पति ने इस बारे में कहा था पत्नी भी तैयार हो चुकी थी अब वह मंदिर पहुंच चुके थे मंदिर आये हुए उन्हें कुछ देर हुई थी मंदिर के बहार ही वह लड़का भी भी बैठा था पति ने कहा की वह लड़का तुम देख सकती हो पत्नी ने देखा की वह लड़का तो बहुत अच्छा लगता है वह आराम से बैठा हुआ है मगर वह किसका लड़का है यह बात सुनकर पति कहता है की मुझे इस बारे में नहीं पता है
मेने भी उसे कल से ही देखा है पत्नी उस लड़के के पास जाती है और पूछती है की तुम कहा रहते हो लड़का कोई जवाब नहीं देता है वह चुप रहता है पति भी पास आता है और कहता है की यह कोई जवाब नहीं देगा क्योकि यह तुम्हे नहीं जनता है कुछ देर बाद दोनों मंदिर के अंदर जाते है और पूजा शुरू करते है, जब दोनों पूजा करके आते है तो पति उस लड़के को प्रसाद देता है और लड़का वहा से चला जाता है यह देखकर पत्नी कहती है, की ऐसा क्यो है वह कहा चल गया है पति कहता है की ऐसा आहार रोज होता हैं में भी इस बात को नहीं समझता हु
जीवन क्या है
उसके बाद पत्नी कहती है की हमे पीछे जाना चाहिए पति कहता है की
अब तो मुझे भी पता नहीं है की वह किस जगह पर चला गया है
हमे कल ऐसा करना होगा की इसके पीछे जाना होगा कल का दिन आ गया था
दोनों मंदिर फिर से आये थे उसके बाद वह लड़का नज़र आता है
जब भी उसे प्रसाद दिया जाता है तो उसके पीछे जाते है
वह लड़का कोई और नहीं बल्कि भगवान् होते है
जो उनसे मिलने बच्चे का रूप बनाकर आते है
वह अब दोनों समझ जाते है की वह उनसे मिलने आते है
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शायद भगवान सभी की मदद करते है वह कोई भी रूप बनाकर आते है और धन्य कर जाते है हम इस बात को नहीं समझते है जब हमे पता चलता है तब तक देर हो जाती है, एक मंदिर की कहानी, mandir ki kahani, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आगे भी शेयर कर सकते है.
मंदिर में मिला ज्ञान हिंदी कहानी :- Mandir ki kahani
सेठ जब भी मंदिर जाता था. उसके मन में यही ख्याल आता था. जीवन में सभी लोग हमेशा खुश रहे किसी को कोई भी समस्या न हो. शायद यही प्राथना लेकर वह सेठ मंदिर में जाता था. वह सेठ धनवान था. मगर उसके मन में धनवान जैसी कोई भी बात नहीं आती थी. शायद उसे इस बात का घमंड नहीं था. की वह धनवान है. वह सेठ हर रोज की तरह आज भी मंदिर गया था. वह घर से प्रसाद बनाकर लाता था.
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क्योकि वह जानता था. यहां पर बहुत गरीब लोग आते है.
जिन्हे शायद खाना भी नहीं मिलता होगा.
इसलिए वह सेठ घर से प्रसाद के रूप में भोजन बनाकर लाता था.
वह सेठ यह प्रसाद खुद ही बनाता था.
क्योकि इससे जीवन में ख़ुशी मिलती है. वह सभी को मंदिर में प्रसाद देता था.
उस दिन जब सेठ मंदिर में आता है. पूजा करता है. उसके बाद प्रसाद देता है.
यह सब कुछ एक आदमी दूर से खड़ा देख रहा था. वह देख रहा था.
वह सेठ देखने में बहुत अमीर है. मगर वह काम सभी बहुत साधारण कर रहा है.
वह सेठ सभी को भोजन दे चुका था. अब उसके पास एक बहुत गरीब बच्चा आता है.
वह भी सेठ से प्रसाद मांगता है.
मगर प्रसाद अब समाप्त हो गया है.
वह सेठ उसे धन देता है. उसके बाद कहता है. तुम इससे भोजन कर सकते हो.
मेरे पास आज प्रसाद खत्म हो गया है. मगर तुम भूखे नहीं रह सकते हो.
वह बच्चा चला जाता है. उसके बाद वह आदमी उस सेठ के पास आता है.
वह कहता है. मुझे आप बहुत धनवान लगते हो. मगर आपके काम बहुत ही साधारण है.
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शायद आपको साधारण रहना बहुत पसंद है. वह सेठ कहता है. आज की दुनिया में सभी लोग परेशान है. क्योकि आज के आधुनिक युग में वह सभी बहुत व्यस्त हो गए है. अगर हम अपना जीवन थोड़ा भी साधरण बना लेते है. इससे हमारे जीवन में थोड़ा बदलाव आता है. यह बहुत जरुरी है. यह सुनकर वह आदमी कहता है. आप बहुत अच्छे है. आपके जो भी मुझे ज्ञान दिया है. इसे अपने जीवन में अपनाने से मेरी समस्या भी बहुत कम हो सकती है. यह कहानी हमे सिखाती है. जीवन में हम जितना साधारण होते है. हमारा जीवन उतना ही अच्छा होता जाता है.
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