सेठ जी की लौकी हिंदी कहानी, Hindi kahani

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सेठ जी की लौकी हिंदी कहानी, (hindi kahani) यह कहानी आपको पसंद आएगी क्योकि कभी-कभी जीवन में ऐसा हो जाता है जिसका आपको पता नहीं होता है.

सेठ जी की लौकी हिंदी कहानी : Hindi kahani

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एक  दिन एक “सेठ” और सेठानी बैठे हुए बातें कर रहे थे, तभी सेठानी ने कहा कि, आज तो मेरा मन लौकी खाने का कर रहा है, और घर में लौकी नहीं है, अभी ऐसा करो कि तुम बाजार से थोड़ी सी लोकी ले आओ, आज हम लोग की बनाएंगे और बहुत खाएंगे, “सेठ” ने कहा कि क्या लौकी बहुत जरूरी है, तभी सेठानी ने कहा जल्दी ले आओ, तो हम बना लेंगे श्याम भी अब होने ही वाली है, तभी “सेठ” अपना छाता उठाते हुए बाजार की ओर चल दिए, क्योंकि हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी, और बारिश में “सेठ” जी का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था,

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लेकिन सेठानी के कहने पर “सेठ” लौकी लेने के लिए बाजार की ओर चल दिए, सेठ लौकी लेने के लिए बाजार की ओर जा ही रहे थे, तभी एक साइकिल वाला थोड़ा पास से गुजरा, और “सेठ” जी ने कहा कि आराम से साइकिल चलाओ, क्योंकि इससे मेरी धोती जो है, वह गंदी हो गई है, कीचड़ भी सड़क पर बहुत फैला हुआ है, साइकिल वाले ने “सेठ” जी से माफी मांगी, और कहा कि मैं थोड़ा दूसरी तरफ से निकल जाता हूं आप इस साइड से निकल जाइए,

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फिर “सेठ” जी थोड़ा आगे चलकर एक सब्जी वाले के पास गए, सब्जीवाला वहां खड़ा हुआ था, और उससे पूछा कि थोड़ी सी लौकी दे दो, और मुझे घर बहुत जल्दी जाना है, क्योंकि मौसम लगता नहीं है, कि अभी रुकेगी बारिश क्योंकि बारिश हल्की हल्की हो रही है, और थोड़ी बहुत देर बाद बहुत तेज होने लगेगी, सब्जी वाले ने थोड़ी सी लौकी सेठ जी को दे दी, और “सेठ” जी लौकी लेकर जैसे ही बाजार से आ रहे थे, तभी कुछ दूरी पर कुछ लोग चोर-चोर चिल्ला रहे थे, “सेठ” जी का ध्यान दूसरी तरफ गया, तो एक चोर भागा हुआ कुछ हाथ में लिए जा रहा था,

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“सेठ” जी ने अपनी लौकी रखी है, और उस चोर को पकड़ लिया, सभी लोग “सेठ” जी के पास आए, और कहा कि यह चोर दुकान से कुछ चोरी करके भाग रहा था, इसलिए हमने इसे पकड़ने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन यह बहुत तेजी से भागा और आपने इससे पकड़ लिया, और आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, सेठ जी ने कहा कि इसमें कोई धन्यवाद नहीं है, मैं तो अपने घर जा रहा था, रास्ते में टकरा गया, तो मैंने उसे पकड़ लिया, फिर “सेठ” जी को इनाम के तौर पर बहुत सारी लौकी दी गई, और कहा कि अब आप घर जाइए और खूब खाइए,

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hindi kahani, सेठ जी घर पहुंचे और सेठानी ने देखा, कि कुछ लौकी की लाने के लिए कहा था, पर सेठ जी तो बहुत सारी लाए हैं , तभी “सेठ” जी ने कहा लौकी ही खाओ, आज खाओ, कल खाओ, महीना भर लौकी खाओ, तुम्हारा मन बहुत कर रहा है, तो लौकी खाने का अब खाओ, यह इनाम के तौर पर भी बहुत सारी लौकी मिली हैं, अब हम हर रोज लौकी  ही बना कर खाएंगे, तब सेठानी ने अपने कान पकड़ लिए और कहा कि अब से मैं लौकी नहीं खाउंगी.

 

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“सेठ” आज पहली बार परेशान लग रहा था वह समझ गया था आज तक उसने कुछ भी अच्छा नहीं किया है शायद इसी वजह से आज वह इस बात को सोच रहा है उसे कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए था, जिससे लोगो को तकलीफ होती है, आज वह जितना भी धन देता था उससे कई गुना वापिस चाहता था, इसलिए लोग “सेठ” को घर भी बेच दिया करते थे “सेठ” बहुत खुश होता था, उसे बहुत कुछ मिल जाता था,

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लेकिन वह इस बात को नहीं समझता था, वह गलत कर रहा है, वह सिर्फ धन के बारे में सोचता था, उसे लगता था, वह किसी भी तरह से धन ले सकता है, क्योकि उसे धन का लालच हो गया था, वह लालच कर रहा था, मगर यह लालच उसके काम नहीं आ सकता था, एक दिन वह “सेठ” अपने घर जा रहा था,वह देखता है पास के गांव से नदी में बाढ़ आ गयी है, सभी जगह पर पानी नज़र आ रहा है वह “सेठ” तैरना नहीं जानता था, वह मदद मांग रहा था मगर उसे मदद कैसे मिल सकती है, आज उसका लालच वही रह गया था,

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वह अपने लालच से आज मदद नहीं मांग सकता था, वह “सेठ” परेशान लग रहा था, उसे तो यही लगता था, वह जीवन में बहुत बड़ा बन गया है, मगर अजा कोई भी काम क्योकि नहीं आ रहा है वह देखता है की एक आदमी वही से जा रहा है वह “सेठ” मदद मांग रहा था, लेकिन वह आदमी कहता है की तुम्हारी मदद हमे नहीं करनी है, तुम्हे लालच के सिवाय कुछ नज़र नहीं आता है, वह आदमी चला जाता है आज वह “सेठ” सब कुछ समझ गया था, वह धन उसे नहीं बचा सकता था, जोकि उसने जोड़कर इकठ्ठा किया था,

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वही से एक बाबा गुजर रहे थे वह “सेठ” को देखते है उसकी मदद करने आते है, उसे बचा लेते है वह “सेठ” बाबा को बहुत सारा धन देना चाहता है मगर बाबा कहते है की हमे धन का कोई लोभ नहीं है, हमे जीवन में सभी की मदद के लिए भेजा गया है यह सुनकर आज “सेठ” को लग रहा था, वह आज तक गलत कर रहा था वह धन को लेना चाहता था, मगर वह धन उसके लिए मुसीबत बन गया था, उस दिन से “सेठ” ने लालच करना छोड़ दिया था, जीवन में लालच नहीं करना चाहिए

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