विक्रम बेताल की हिंदी कहानी, vikram betal ki kahani

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Vikram betal ki kahani

vikram betal ki kahani, विक्रमादित्य एक महान शासक था, विक्रमादित्य बड़ा ही दयालु था और उनकी महानता के किस्से सभी को  पता ही होंगे, विक्रमादित्य अपनी बुद्धि और ताकत के लिए प्रसिद्ध थे, बेताल और विक्रमादित्य की किस्से आपको पता होंगे

विक्रम बेताल की हिंदी कहानी :- vikram betal ki kahani

vikram betal ki kahani
vikram betal ki kahani

 जिसमे बेताल विक्रमादित्य को अनेक कहानी सुनाता है और कहानी सुनते वक़्त एक शर्त रखता है की अगर वो कहानी के बीच में बोलेगे का तो वह उड़ जायेगा और कहानी के अंत में उत्तर नहीं देगा तो वह इसका सर काट डालेगा, इस कहानी का क्रम  चौबीस  बार चलता है और बेताल विक्रमादित्य को चौबीस  कहानी सुनाता है,  

राजा बनने से इंकार :-

विक्रमादित्य का जन्म भगवन शिव के आशीर्वाद से हुआ था, जब विक्रमादित्य बड़े हुए तो

उनके पिता ने उन्हें राज सम्भालने को कहा इस पर विक्रमादित्य ने राजा बनने से इंकार कर दिया और

फिर इनके पिता को को बहुत क्रोध आया,

विक्रमादित्य अपनी ही बात पर अड़े रहे और पिता की बात नहीं मानी.

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फिर सिंघासन पर विक्रमादित्य के भाई को बैठा दिया गया समय का चक्र घूमा और किसी कारण वश फिर सिंगघसन विक्रमादित्य को ही लेना पड़ा जब विक्रमादित्य को राजा बनाया गया तब राज्य में न्याय की ही बाते होने लगी और राज्य में फिर से न्याय होने लगा. विक्रमादित्य एक काबिल शासक थे,

राज्य की भलाई :-

एक दिन जब राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा को दान में कपडे बात रहे थे तब एक तांत्रिक ने अपनी सिद्धियों को बढ़ाने के लिए राजा से कुछ बाते की, जिसमे उसने राजा को बताया की उसे अपनी सिद्धयो को बढ़ाने के लिए बेताल की जरुरत है और जब ये सिद्धयो को प्राप्त कर लेगा तो राज्य की भलाई  के प्रयोग में लाएगा, इस पर राजा ने कहा की आप भी तो बेताल को ला सकते है,

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राजा से उस तांत्रिक ने  कहा की उस बेताल को वही ला सकता है जो मन से सच हो और पवित्र हो जिसने कभी किसी का बुरा नहीं करा हो, और ये सब गुण आप में है, राजा उसकी चाल नहीं समझ पा रहा था,  फिर राजा ने उस टार्टरिक की बात मान ली और राजा विक्रमादित्य उस बेताल को लाने के लिए चल पड़े,     

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जब राजा विक्रमादित्य बेताल को लेकर आये तो वह तांत्रिक अपनी पूजा में विलीन था और जब बेताल को पता चला की विक्रमादित्य अगर तांत्रिक का सर काट देगा तो वह भी मुक्त हो जाएगा, और फिर राजा ने उस तांत्रिक की गर्दन काट दी और बेताल भी मुक्त हो गया

राजा विक्रमादित्य :-

vikram betal ki kahani, फिर राजा अपने राज्य में वापिस लोट गए विक्रमादित्य अपनी बुद्धि से हर फैसले को कुछ ही पल में सुलझा देते थे, साड़ी प्रजा को राजा पर पूरा भरोसा था, और क्यों न हो विक्रमादिय जैसा राजा कोई भी नहीं हुआ, आज भी राजा विक्रमादित्य का नाम है,     

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