शेर और खरगोश की कहानी, sher aur khargosh ki kahani

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sher aur khargosh ki kahani 

sher aur khargosh ki kahani, एक दिन भूखा शेर जंगल में घूम रहा था, आज उसे कोई भी शिकार नहीं मिल रहा था, तभी उसके पास खरगोश आया और बोला की आप जंगल के राजा हो, और आप ही जंगल के नियम बनाते हो, लेकिन फिर भी कुछ जानवर आपसे डरते नहीं है,

शेर और खरगोश की कहानी : sher aur khargosh ki kahani

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sher aur khargosh

वो कहते है की अगर हम चाहे तो “शेर” को कुछ ही दिनों में यहां से भगा देंगे, भूखा “शेर” जब यह बात सुन रहा था, तो उसे बहुत गुस्सा आया और बोला की कौन मेरे बारे में ऐसा कह रहा है, “खरगोश” ने कहा की आपके बारे में गधे ने यह बात की है, “शेर” बोला की मुझे पहले से ही बहुत भूख लगी हुई है और तुम मुझे गुस्सा दिला रहे हो, अगर वो गधा मुझे मिल गया तो में उसे नहीं छोड़ूंगा, यह बात कहकर “खरगोश” वहा से चला गया था, क्योकि सभी जानवर “शेर” से बहुत परेशान थे इसलिए शेर को पकड़ना चाहते थे, एक बार शेर पकड़ा जाता तो सभी लोग आराम से रहते,

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गधे को सारी बात बता दी थी, जिससे गधा ही “शेर” को अपने पास बुला सकता था, जब गधे को “शेर” के पास भेजा गया तो शेर ने देखा की गधा उसके सामने खड़ा था, गधे को बहुत दर लग रहा था, वह शेर से बहुत डरता था शेर ने गधे को कहा की एक तो मुझे बहुत भूख लगी हुई है और ऊपर से तुम मुझे यहां से निकलवाना चाहते हो, गधे को सारी बात पता थी, गधा भी थोड़ा ऊचा बोलने लगा था, गधे ने कहा की अगर मुझे गुस्सा आ गया तो में तुम्हे देख लूंगा, “शेर” ने कहा की यहां से चले जाओ, नहीं में तुम्हे ही खा जाऊँगा, गधे जब यह सुनाई दिया तो गधे ने कहा की पहले पकड़ के तो दिखा तभी तो खाओगे, यह सुनकर शेर गधे के पीछे भागा.  

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यही गधा चाहता था की शेर उसके पीछे आये, “शेर” बहुत तेजी से गधे के पीछे भाग रहा था, but गधा रुक ही नहीं रहा था, वह अपने दोस्तों के पास आने ही वाला था, उस जगह पर उसके दोस्तों ने एक बहुत बड़ा गड्ढा किया हुआ था जिसमे “शेर” को गिराना था, गधा जब उस गड्ढे के पास आया तो हट गया और “शेर” उसमे गिर गया, इस प्रकार सभी जानवर ने गधे की मदद से शेर को जाल में फंसा लिया था, इसलिए कहते है की अगर आप अपने दिमाग का पर्योग करे तो बड़ी-बड़ी मुशिकल भी हल हो सकती है इसलिए कभी भी मुशिकल से नहीं डरना चाहिए.

 

शेर और खरगोश की दूसरी कहानी : sher aur khargosh ki kahani

“शेर” “खरगोश” से कहता है की तुम मेरे सामने बार बार आते हो अगर अगली बार मेरे सामने ए तो समस्या हो सकती है शेर चला जाता है Because उसे “खरगोश” से कोली मतलब नहीं है खरगोश सोचता है की अगर शेर मेरा दोस्त बन जाये तो बहुत अच्छा होगा, वह मेरी सहायता भी कर सकता है but “शेर” से दोस्ती आसान नहीं है, Because वह मुझसे क्यों दोस्ती करेगा “खरगोश”सोचता हुआ जाता है Because वह शेर से दोस्त करना चाहता है

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अगले दिन वह शेर के पास आ जाता है “खरगोश” कहता है की आप मेरे दोस्त बन जाये तो बहुत अच्छा होगा, यह सुनकर “शेर” कहता है की आज तुम मुझे परेशान मत करो अगर मुझे गुस्सा आ गया तो में तुम्हे खा जाऊंगा, यह सुनकर “खरगोश” डर जाता है Because उसे “शेर” से बहुत डर लगता है but फिर भी वह शेर से कहता है की आप मुझे अपनी समस्या बता सकते है हो सकता है की में आपकी सहायत कर पाऊ, यह सुनकर “शेर” “खरगोश”की और देखता है वह कहता है की तुम मेरी सहायता करना चाहते हो,

 

“खरगोश” कहता है की आप मुझे बताये की क्या करना है शेर कहता है की तुम मुझसे दोस्ती कर सकते हो but तुम्हे मेरा काम करना होगा, तुम्हे मेरे लिए शिकार खोजना होगा अगर तुम यह कर सकते हो तो तुम मुझसे दोस्ती कर सकते हो, “खरगोश” कहता है की ठीक है में यह कर सकता हु वह “शेर” के लिए शिकार को खोजता है उसके बाद दोनों की दोस्ती होती है वह “शेर” के साथ ही घूमता रहता है उसकी दोस्ती भी हो जाती है, खरगोश अब शान से घूमता था, अगर आपको यह शेर और खरगोश की कहानी, sher aur khargosh ki kahani पसंद आयी है तो शेयर करे

 

शेर और खरगोश की अनोखी हिंदी कहानी :- sher aur khargosh ki kahani

“शेर” आज बहुत भूखा लग रहा था आज उसे खाने को कुछ नहीं मिल रहा था, वह सभी जगह पर तलाश कर चुका था, मगर शिकार कही भी नज़र नहीं आ रहा था, “शेर” देखता है, एक “खरगोश” जोकि अपने बिल में जा रहा है, उसका शिकार किया जा सकता है, लेकिन तब तक वह “खरगोश” जा चुका था शेर को लग रहा था जब भी वह बाहर आएगा तब उसका शिकार हो जायेगा बहुत समय तक इंतज़ार करने पर भी वह शिकार बाहर नहीं आता है, शेर बहुत परेशान हो गया था, यह कैसे हो रहा है,

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वह “खरगोश” बाहर क्यों नहीं आता है, सुबह से शाम हो गयी थी, मगर शेर को अब समझ नहीं आ रहा था, यह कैसे हो रहा है, क्योकि में इस बिल के सामने बहुत समय से बैठा हु, फिर भी वह “खरगोश” बाहर नहीं आता है, उसे अभी तक बाहर आना चाहिए था, लेकिन वह अंदर क्या कर रहा है, उसके बाद “शेर” उस जगह पर घूमता है, तभी शेर की नज़र बहुत सारे बिल पर जाती है, अब शेर को समझ आ गया था, यह कैसे हो रहा है, वह “खरगोश” यहां से बिल के अंदर जाता है,

 

उसके बाद दूसरे बिल से बाहर चला जाता है, आज “शेर” को भी वह “खरगोश” नहीं मिल रहा था, “शेर” इस बात से बहुत दुखी हो गया था, उसका शिकार कही खो गया था, अब उसे भी लग रहा था, कुछ तरकीब लगानी होगी, नहीं तो भूखा यही रहना होगा, वह शेर भागकर दूसरी और जाता है, जिस जगह से सभी “खरगोश” बाहर निकल जाते है, वह शेर सोचता है, अगर एक भी “खरगोश” पकड़ लिया जाये तो कुछ हो सकता है, सही “खरगोश” को पता चल गया था, वह कहते है की तुम बहुत तेज हो हमारा शिकार करना चाहते हो,

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लेकिन तुम हमे पकड़ भी नहीं सकते हो हमारे बिल के अंदर नहीं जा सकते हो, “शेर” ने जब सुना तो वह गुस्से में आ जाता है, वह उन “खरगोश” को पकड़ना चाहता है मगर कुछ भी हाथ नहीं लगता है, वह सभी “खरगोश” बहुत तेज है, वह उसके हाथ नहीं आने वाले है, आज “शेर” को भी पता चल गया है, उसे सब कुछ आसान लग रहा था, मगर यह आसान नहीं था, आज “शेर” समझ गया था, क्योकि कोई भी “खरगोश” हाथ में नहीं आया था, यह sher aur khargosh ki kahani हमे कहती है, की जीवन में डरने की जरूरत नहीं है, मुसीबत का सामना कीजिये वह दूर हो जाएगी,

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