आपसी प्रेम की दो हिंदी कहानी, kahani hindi

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Kahani hindi | Motivational story in hindi

kahani hindi, हींगवाला खान हींग बेचने आया और दरवाजे पर खड़ा होकर बोला अम्मा हींग ले लो राम अंदर से दौड़ता आया और बोला नहीं चाहिए खान आकर आंगन में नीम के पेड़ के नीचे बैठ गया और अपने तोलिये से हवा करने लगा जो उसने अपने कंधे पर डाल रखा था

आपसी प्रेम की दो हिंदी कहानी :- Kahani hindi

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अंदर से राम की मां आई बोली खान साहब अभी हींग नहीं चाहिए खान बोला ले लो फिर मैं अपने देश को को जाऊंगा और पता नहीं कब लौटेगा राम की मां सावित्री ने कहा कि अभी तो हिंग लिया था वैसे का वैसे ही रखा है खान इतने में  हींग तोलना शुरू भी कर दिया और बोला  5 तोले ही ही बचा है फिर पता नहीं हम कब लौटेगा.

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सावित्री ने कहा नहीं रहने दो बच्चे चिल्लाने लगे जब हमारी मां मना कर रही है तो आप क्यों  देने को तैयार हो इतने  मैं खान ने हींग की पुड़िया बना दी और राम के छोटे भाई मोहन ने पुड़िया उठाकर उसी के ऊपर फेंक दी मगर सावित्री ने पुड़िया उठा ली और बोली कितने पैसे हुए खान जी खान बोला 35 पैसे.

 

सावित्री ने अंदर से पैसे लाकर खान को दे दिए और खान चला गया खान के जाते ही तीनों बच्चे राम, मोहन और मुन्नी मां से जिद करने लगे की हमें भी 35 पैसे ही चाहिए जब आपने उस खान को दे दिए तो हमें भी दे दो मां हंसने लगी और बोली तुम सब तो पागल हो अच्छा ठीक है

 

पहले हाथ मुंह धो कर खाना खा लो फिर पैसे दे देती हूं होली पर हिंदू और मुसलमानों का बहुत तकरार चल रहा था कई हिंदू और मुसलमान घायल गए सावित्री ने सोचा शायद हींग वाला भी घायल गया होगा अब तो घर में हींग खत्म  हो गया है अब हींग कहां से लाऊंगी कुछ दिन बाद खान लौट आया और आकर बोला हींग ले लो, सावित्री ने आवाज पहचान ली बोली आप ठीक हो आपको यहां नहीं आना चाहिए यहां हिंदू और मुसलमानों का बहुत बड़ा तकरार चल रहा है खान बोला एक बेटे को अपनी मां से कौन अलग कर सकता है यह सब तो बेकार की बातें हैं

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सावित्री ने कहा अच्छा हींग दे दो खान उसे एक डब्बा हींग देकर चला गया 6 महीने बाद दिवाली पर  दशहरा का मेला लगा था सब मेला देखने जा रहे थे पर तभी झगड़ा शुरु हो गया बच्चे भी जिद करने लगे सावित्री ने मना कर दिया उनका नौकर भी मेला देख आया बोला मेरे साथ भेज दो मैं आराम से ले आऊंगा, सावित्री के पति बाहर काम से गए थे सावित्री ने कहा ठीक है पर जल्दी ले आना यह बच्चे जिद कर रहे हैं इसीलिए भेज रही हूं नौकर और तीनों बच्चे मेले में चले गए सुबह से शाम हो गई पर बच्चे लौटकर नहीं आए अब सावित्री को चिंता होने लगी बोली पता नहीं कहां हैं सारे के  सारे इतने में ही हिंदू मुसलमानों का का आपसी तकरार शुरु हो गया

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गांव में भगदड़ मच गई अब सावित्री को बहुत चिंता होने लगी वह रोने लगी और सभी देवी देवताओं की पूजा में लग गई थी मैंने अपने बच्चों को क्यों भेजा बच्चे तो जिद ही करते हैं उसने वहां जाते एक किसान से बोला कि मेरे बच्चे को ले आना, किसान बोला मैं तो तुम्हारे बच्चों को जानता ही नहीं वह चुपचाप अंदर चली गई और रोने लगी इतने में ही बच्चों की आवाज सुनाई दी उसने पीछे मुड़कर देखा तो हींगवाला खान और तीनों बच्चे दरवाजे पर खड़े थे खान बोला लो अम्मा जी अपने बच्चे अब इनका ध्यान रखना हम जाते हैं

 

kahani hindi, motivational story in hindi, दोस्तों हम सभी इंसान है और आपस में हमे मिलजुल कर रहना चाहिए इस कहानी से यही सीख मिलती है पता नहीं हमे कब किसी की जरुरत पड़ जाए.

 

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बहुत समय पहले की बात है. एक बुढ़िया गांव में रहती थी. उसी गांव में एक आदमी सामान बेचने आता था. वह बुढ़िया के पास जरूर आता था. क्योकि वह जानता था.वह बुढ़िया उसकी माँ की तरह लगती है. इसलिए वह उसे जरूर मिलने आता था. दोपहर का समय हो रहा था. आज बुढ़िया घर के अंदर थी. वह सामान बेचने वाला आता है. देखता है. आज माँ नज़र क्यों नहीं आ रही है.

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वह घर के बाहर से आवाज लगाता है. एक बहुत धीमी आवाज आती है.

ऐसा लगता है की बूढी अम्मा बीमार लगती है. वह घर के अंदर जाता है.

माँ से कहता है की आप बीमार लग रही है. बूढी अम्मा कहती है की

यह उम्र बहुत अधिक होती जा रही है. उसके बाद बिमारी तो जरूर आती है.

लेकिन सामान बेचने वाले को लगता है की मुझे उनकी बीमारी का ख्याल भी रखना होगा.

वह आदमी गांव के जाता है एक वैद्य की तलाश करता है

क्योकि बीमारी का ठीक होना भी जरुरी है. वह वैद्य आता है.

बूढी अम्मा को देखता है.

 

उसके बाद कहता है की आपको आराम भी करना चाहिए

नहीं तो बीमारी आपको पकड़ सकती है. बूढी अम्मा कहती है की आराम कहा है

में अकेली रहती हु. मुझे ही सब कुछ देखना होता है. उसके बाद वैद्य दवाई देकर चला जाता है

यह सुनकर सामान बेचने वाला कहता है की आप बीमार हो जाये

यह मुझे पसंद नहीं है. इसलिए आज के बाद जब तक आप ठीक नहीं होती है.

तब तक में यहां से नहीं जाने वाला हु. यह सुनकर बूढी अम्मा कहती है

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जब तक तुम मेरी सेवा करते हो. मुझे अपने बेटे की कोई भी कमी महसूस नहीं होती है. शायद यह आपसी प्रेम है. जो हमे नज़र तो नहीं आता है. लेकिन हमे महसूस जरूर होता है. यह कहानी हमे कहती है. जीवन में सभी की मदद जरूर करे. इससे हम दुसरो की समस्या को भी कम कर सकते है. अगर आपको यह कहानी, kahani hindi, motivational story in hindi, पसंद आयी है शेयर जरूर करे.

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