तपस्या का फल एक हिंदी कहानी, hindi story

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Hindi story | Kahaniya

Hindi story, kahaniya, एक राजा था और एक रानी थी दोनों के कोई संतान नहीं थी उन दोनों ने तपस्या की तब जाकर उन्हें एक पुत्र मिला लेकिन वह भी आधा इंसान और आधा सांप था यह बात राजा और रानी दोनों ही जानते थे कि पूरे दिन में वह एक बार अपने रूप में जरूर आता था

तपस्या का फल एक हिंदी कहानी :- Hindi story

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वैसे वह इंसान का रूप लेकर रह सकता था जब छोटा था तो दिनभर बच्चे के रूप में खेलता परंतु रात में वह सांप बनकर ही सोता था वह धीरे-धीरे बड़ा होने लगा राजा कहने लगा कि इसका विवाह करेंगे रानी बोली कि इसका विवाह हम कैसे कर सकते हैं यह तो सांप बन जाता है राजा ने कहा कि हमें इसका विवाह जरूर करना पड़ेगा वरना समाज में सब लोग क्या कहेंगे

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राजा ने उसका विवाह एक कन्या के साथ कर दिया रानी ने कहा कि तुम्हें एक बात का ध्यान रखना है अपनी पत्नी के साथ में सांप में कभी मत आना जब वह घर से बाहर हो तभी तुम सांप बन कर रह सकते हो, राजकुमार को यह बात अच्छी तरह समझ आ गई लेकिन एक दिन वह वह कहीं बाहर नहीं गई और उसे सांप बनना घर में ही पड़ा उसकी पत्नी में उसको देख लिया और जोर-जोर से चिल्लाने लगी सांप सांप सांप यह सुनकर राजा और रानी दोनों दोनों भाग कर आए कहां है बोलो कहां है पत्नी ने कहा यही पर है उन्होंने उसको देखा पत्नी ने कहा इस को मार डालो परंतु राजा बोला नहीं यह भी किसी का बच्चा होगा इसको नहीं मारेंगे और राजा उसको बाहर ले जाकर छोड़ गया

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क्योंकि राजा जानता था कि वह उसी का पुत्र है बाद में जब वह लड़के के भेष में अंदर आया तो बोला क्या हुआ रानी ने कहा अभी हां एक सांप आया था और तुम्हारी पत्नी उसे देखकर डर गई थी लड़के ने कहा कोई बात नहीं चलो फिर कभी नहीं आएगा धीरे-धीरे दिन बिकते गए एक दिन एक दिन लड़के की पत्नी से उसकी दासियों ने कहा कि तुम अपने पति से उसका गोत्र पूछना, शाम को लड़का आया तो उसकी पत्नी जिद करने लगे कि तुम्हारा गोत्र क्या है मुझे बताओ लड़के ने कहा तुम मुझसे जो चाहो पूछ सकती हो पर एक ही चीज है जो मत पूछना क्योंकि यह जाने के बाद तुम बहुत पछताओगी लड़के की पत्नी जिद करने लगी बोली नहीं मुझे कुछ नहीं जानना मुझे तो सिर्फ इतना बता दो कि तुम्हारा  गोत्र क्या है

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तुम जिद कर रही हो तो मैं अमावस्या की रात को तुम्हें गंगा के किनारे ले जाऊंगा वहीं पर जाकर बताऊंगा अमावस्या की रात दोनों ने गंगा के घाट पर गए लड़के ने कहा अभी समझ जाओ तुम मुझसे मेरा गोत्र मत पूछो परंतु लड़के की पत्नी जिद करने लगी बोली नहीं आज तो मैं पूछ कर ही मानूंगी बताओ, लड़का धीरे-धीरे नदी की तरफ बढ़ने लगा और कहने लगा आप भी मान जाओ मत पूछो परंतु उसकी पत्नी हट कर बैठी थी लड़का नदी पर गया और एक डुबकी लगाई डुबकी के बाद वह अपने सांप रूप में आकर बोला यही मेरा असली गोत्र है

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लड़के की पत्नी रोने लगी और बोली मुझे माफ कर दो और वापस आ जाओ परंतु लड़का बोला मैं अब कभी वापस नहीं आऊंगा और मैं जा रहा हूं इतना कहकर वह गंगा में चला गया लड़के की पत्नी गंगा के घाट पर बैठकर फूट-फूट कर रोने लगी वह रोज यहां आती और रोती एक दिन एक बुढ़िया वहां आई उसने उससे पूछा बेटी तुम कौन हो और यहां क्यों आकर होती हो

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लड़के की पत्नी ने कहा मैं राजा के लड़के की पत्नी हूं मेरा पति गंगा के अंदर चला गया और वापस नहीं आ रहा  बुढ़िया एक जलपरी थी वह बोली ठीक है मैं गंगा के अंदर जाकर उससे पूछती हूं वह बुढ़िया जलपरी  बनकर गंगा के अंदर गई गंगा के अंदर वह लड़के से मिली जो वहां गया था वह उससे बोली तुम बाहर क्यों नहीं जाते हो, लड़का बोला अगर मुझे मेरा मनुष्य का रूप मिलेगा तभी मैं जाऊंगा वरना सांप रूप मैं बाहर नहीं जाऊंगा इतनी बात सुनकर जलपरी वापस आई और लड़के की पत्नी से बोले तुम गाय माता की सेवा करो गौ माता खुश होकर ही सब तुम्हें तुम्हारा पति वापस दे देंगे

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लड़के की पत्नी रोज सुबह शाम गाय के नीचे झाड़ू लगाती गोबर उठाती और उसकी सेवा करती गौमाता उसकी सेवा से खुश होकर बोली बता तुझे क्या चाहिए लड़के की पत्नी ने कहा मेरा पति गंगा में है उसे वापस लाने में मेरी सहायता करो गाय ने जलपरी को बुलाया और कहा इसका पति वापस भेज दो जलपरी ने कहा, वह तभी आएगा जब उसका मनुष्य का रूप मिलेगा नहीं तो वह नहीं आएगा गौमाता और जलपरी ने उसको मनुष्य का रूप भेज दे दिया वह वापस आ गया राजा रानी राजकुमार और उसकी पत्नी पहले की तरह हंसी खुशी रहने लगे

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Hindi story, kahaniya, यह हमारे सच्चे तपस्या और भक्ति की ही कहानी है अगर हम किसी चीज को पाना चाहें तो तन मन  से उसी चीज में लग जाए तभी वह चीज हमें मिलती है अन्यथा नहीं. अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आगे भी जरूर शेयर करे और कमेंट करके हमे भी बातये.

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