बच्चों की नैतिक कहानियाँ, Hindi story

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Hindi story | बच्चों की नैतिक कहानियाँ 

Hindi story, एक दिन मुकेश अपने घर लौट रहा था जब मुकेश अपने घर आ रहा था तो रास्ते में एक बूढ़ा आदमी ही कुछ फल बेच रहा था मुकेश ने जब देखा कि यह आदमी से बेच रहा है और बहुत ही ग़रीब लग रहा है क्योंकि उसने बहुत अच्छे ढंग के कपड़े नहीं पहने हुए थे

बच्चों की नैतिक कहानियाँ:- Hindi story

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तो मुकेश को लगा कि यह आदमी बहुत ही गरीब है और अपनी गरीबी के कारण ही है यहां पर फल बेच रहा है क्योंकि अब रात के 10:00 बजे हैं और इतनी रात को भी फल बेच रहा है मुकेश ने सोचा की यह आदमी फल बेचने के लिए खड़ा है जरूर इसे बहुत ज्यादा जरूरत है, तब ऐसा सोचकर मुकेश उस बूढ़े आदमी के पास गया बाबा आप इतनी रात को यहां पर फल बेच रहे हैं और अब तो आप को घर चले जाना चाहिए बूढ़े आदमी ने कहा कि बेटा मेरी पत्नी की तबीयत बहुत खराब है अगर मैं थोड़े फल बेच पाया तो उसका इलाज करवा दूंगा

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ऐसा सोचकर मुकेश ने उससे कुछ फल लिए और कुछ पैसे भी उस बूढ़े आदमी को दे दिया और कहा कि जब तुम्हारी पत्नी ठीक हो जाए तब लौटा देना बूढ़े आदमी ने कहा कि बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों की मदद करते हैं इस पर मुकेश ने कहा की कोई बात नहीं हर इंसान कभी ना कभी किसी इंसान के काम आता है, तुम अपने घर जाओ और अपनी पत्नी की देखभाल करो अगले दिन देखा तो बूढ़ा आदमी वहां पर नहीं था ऐसे करते करते एक हफ्ता बीत गया है जब एक हफ्ते के बाद बड़ा आदमी आया तो उसने मुकेश के सभी पैसे लौटा दिए और कहा कि मेरी पत्नी की तबीयत ठीक है

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Hindi story, moral story in hindi, आप ने जो मदद की थी उससे मुझे बहुत फायदा हुआ और मैं पहले अपनी पत्नी का इलाज करवा दिया वह ठीक है और आपने जो मदद की इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, मुकेश ने कहा कि इसमें धन्यवाद की कोई बात नहीं हर इंसान को एक इंसान के काम आना बहुत जरुरी होता है मुकेश ने कुछ फल बूढ़े आदमी से लिए और अपने घर की ओर चल दिया.

 

दादा जी की मोरल हिंदी कहानी :- Moral story in hindi

वह अपने पोते को देखते है. उसके बाद दादा जी पोते को बुलाते है.

अब दादा जी बहुत बूढ़े हो गए थे. अब उनका जीवन बीत रहा था.

वह चाहते थे. कुछ शिक्षा अपने पोते को देकर जा सकते है.

क्योकि वह देखते है उनका पोता बहुत गुस्सा करता है.

वह अपने जीवन में अधिक गुस्सा करता है.

तो उसका जीवन मुश्किल में आ सकता है.

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इसलिए वह अपने पोते को बुलाते है. जब पोता आता है. दादा जी उसे कहते है. तुम्हे मेरे मुँह के अंदर देख सकते हो. तुम्हे क्या नज़र आता है. पोता देखता है. उसके बाद वह कहता है. आपके मुँह के अंदर दांत नहीं है. सिर्फ जीभ नज़र आ रही है. दादा जी पोते से कहते है. यह कैसे हो सकता है. क्योकि जब में पैदा हुआ था. जीभ उस वक़्त भी थी. उसके बाद दांत आये थे. जब वह बाद में आये है. तो पहले कैसे जा सकते है.

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यह सुनकर पोता भी समझ नहीं पाता है. क्योकि सब्बसे पहले जीभ को जाना चाहिए था. क्योकि वह पहले आयी थी. उसके बाद दादा जी पोते को समझाते है. यह कैसे हो सकता है. वह अपने पोते को कहते है. जीवन में जो सबसे अच्छी तरह से बात करता है. जो जीवन में सामान रहता है. उस पर सुख और दुःख का असर नहीं पड़ता है. वही जीवन में अधिक जी सकता है. तुम जानते हो हमारे दांत कठोर होते है. इसलिए वह अधिक समय तक नहीं रुक सकते है.

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Hindi story, moral story in hindi, हमारी जीभ कठोर नहीं है. इसलिए वह पहले आयी थी. उसके बाद अंत तक रह सकती है. जीवन को भी हमे ऐसा ही बनाना है हमे कठोर नहीं बनना है. अब पोता अपने दादा जी की बात को समझ गया था. वह मुझसे क्या कहना चाहते है. अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है. शेयर जरूर करे.

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