Hasi ki kahani

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Hasi ki kahani, शेख चिल्ली और एक आदमी की कहानी, दोस्तों इस बार शेख चिल्ली इस कहानी मैं एक ऐसा कारनामा करता है, जिसके बारे मैं आप लोगो ने कभी सुना भी नहीं होगा. क्या होता है कहानी मैं अब मैं आपको बताने जा रहा हु. एक दिन एक व्यक्ति एक पेड़ पर चढ़ गया. but थोड़ी देर बाद उसने जाना कि नीचे उतरना उतना आसान नहीं है,

शेख चिल्ली और एक आदमी की कहानी : Hasi ki kahani

Hasi ki kahani
Hasi ki kahani

Hasi ki kahani, जितना की पेड़ पर चढ़ना था और खुद को फंसा हुआ पाया. तो वह व्यक्ति घबरा गया उसने काफी कोशिश की but फिर भी वो कुछ अधिक नहीं कर पाया . अब उसके पास केवल एक ही रास्ता था कि वो पेड़ से कूद जाये but पेड़ काफी ऊंचा था, इसलिए उसे चोट लगने का भी भय था .

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इसलिए उसने आस पास के राहगीरों से मदद मांगी but किसी को नहीं सूझा कि क्या किया जाये. लोगो की भीड़ इक्कठा हो गयी तभी भीड़ में से शेख चिल्ली आगे निकल कर आया और सबसे बोला घबराओ नहीं मेरे पास एक तरकीब है, जिस से ये नीचे आ सकता है और उसने एक रस्सी उस आदमी की तरफ फेंकी और बोला कि ऐसा करो इस रस्सी को अपने कमर में बांध लो फिर मैं बताऊंगा कि आगे क्या करना है .

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इस पर लोग बोले ये कौन सी तरकीब है तो शेख चिल्ली ने कहा कम से कम मुझ पर भरोसा तो रखो तो लोग चुप हो गये . थोड़ी देर बाद जब वो आदमी रस्सी अपनी कमर के बांध चुका तो शेख चिल्ली ने रस्सी का दूसरा छोर खींच कर उसे नीचे गिरा दिया और उस आदमी को बहुत चोटें आई इस पर लोगो ने शेख चिल्ली पर गुस्सा किया और चिल्लाते हुए बोले मूर्ख ये क्या किया है तूने.

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शेख चिल्ली बड़ी सहजता से बोला कि मैंने पहले भी एक आदमी की इसी विधि से जान बचायी है. लोगो ने पूछा क्या तुम सच कह रहे हो इस पर शेख चिल्ली सिर खुजलाते हुए बोला हाँ मैंने ये पहले भी किया है but मैं इस बात के लिए उलझन में हूँ कि मैंने उसे कुँए में से बचाया था या पेड़ पर से. आखिर मैं शेख भी समझ नहीं पाया की ये हुआ क्या है और कैसे. तो कैसी लगी आपको ये फंसे हुए आदमी और शेख चिल्ली की कहानी.

 

रेलगाड़ी रूकती नहीं शेख चिल्ली की हास्य कहानी

hasi ki kahani,शेख चिल्ली ने कभी रेलगाड़ी नहीं देखी थी, वह सोचता था की पता नहीं रेलगाड़ी कैसी होती है, क्योकि उसने सभी से सुना था शेख चिल्ली कभी भी गांव से बाहर नहीं गया था, उसे नहीं पता था की शहर में रेल गाडी चलती है, एक दिन एक आदमी शहर से काम करके आया था, वह शहर में काम करता था मगर बहुत कम घर आता था, वह शेख चिल्ली से मिला था, उसके बाद शेख चिल्ली को बहुत बाते शहर के बारे में बतायी थी,

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उसने यह भी बताया था की शहर में रेलगाड़ी चलती है, अगर तुम चाहो तो में तुम्हे रेलगाङी दिखा सकता हु शेख चिल्ली ने पहले तो सोचा उसके बाद वह कहता है, मुझे शहर नहीं जाना है मुझे लगता है शहर बहुत बड़ा है, वह मेरे लिए नहीं है, मगर कुछ बातो के बाद शेख चिल्ली से वह आदमी कहता है तुम्हे रेलगाड़ी देखनी है में तुम्हे दिखा सकता हु, यहां से कुछ किलोमीटर की दुरी पर एक दुसरा गांव है उस गांव से वह रेल गाडी नज़र आ सकती है, शेख चिल्ली उसके साथ चल दिया था, उसके बाद वह आदमी कहता है, कुछ समय बाद ही तुम्हे रेलगाड़ी नज़र आएगी

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बहुत देर इंतज़ार करने पर एक रेलगाड़ी आती है, शेख चिल्ली कहता है की यह क्या है भाई हमारी बैलगाड़ी भी इतनी बड़ी नहीं होती है, but यह तो बहुत बड़ी है, मगर यह रूकती नहीं है, वह आदमी कहता है, यह यहां पर नहीं रूकती है, जिस जगह पर इसका रुकने का समय होता है, वही पर रूकती है, दूसरी जगह पर कही भी नहीं रूकती है, मगर शेख चिल्ली को इसमें बैठना था, इसलिए वह सोच रहा था, अगर यह रुक जाती तो बहुत अच्छा होता इसलिए शेख चिल्ली उसे देखकर उसके सामने आता है, तभी वह आदमी आता है वह कहता है

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hasi ki kahani, यह तुम क्या कर रहे हो सामने आने से भी यह नहीं रूकती है, अगर तुम अधिक देर तक सामने रहते हो तो यह तुम्हे घायल भी कर सकती है, but रुकेगी नहीं, यह सुनकर शेख चिल्ली डर जाता है, वह कहता है, मुझे यहां से घर जाना है, यह तो बहुत खतरनाक है, मुझे नहीं पता था, यह रूकती नहीं है, उसके बाद शेख चिल्ली ने कभी भी रेलगाड़ी के बारे में बात नहीं की थी, क्योकि वह रेलगाड़ी रूकती नहीं है

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